पुण्य कोष को बढ़ाने वाला है श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान – प्रतिष्ठाचार्य राकेश भैया
श्री सिद्धचक महामंडल विधान के द्वितीय दिवस पर श्रावक श्राविकाओं ने श्रीजी के समक्ष 16 अर्घ्य समर्पित किए।
खिरनी गेट स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन खंडेलवाल मंदिर पंचायत में चल रहे श्री सिद्धचक महामंडल विधान के द्वितीय दिवस पर श्रावक श्राविकाओं ने श्रीजी के समक्ष 16 अर्घ्य समर्पित किए।उससे पूर्व मंदिर जी में नित्य नियम अभिषेक पूजन एवं शांतिधारा हुई। हर एक श्रद्धालु को सिद्धचक्र महामंडल विधान करना चाहिए क्योंकि अंतिम लक्ष्य के रूप में संसारी प्राणी मोक्ष नहीं पा सकता इसलिए सिद्धों की आराधना के बिना मोक्ष का लक्ष्य सिद्ध नहीं हो सकता । यह बात विधान में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आदरणीय प्रतिष्ठाचार्य राकेश भैया जी ने कही। उन्होंने कहा सिद्ध का अर्थ है कृत्य कृत्य, चक्र का अर्थ समूह, मंडल का अर्थ है एक प्रकार के वृताकार यंत्र से जिसमें अनेक प्रकार मंत्र व बीजाक्षरों की स्थापना की जाती है ।
मंत्र शास्त्र के अनुसार इसमें अनेक प्रकार की दिव्य शक्तियां प्रकट होती हैं सिद्धचक्र महामंडल विधान समस्त सिद्ध समूह की आराधना मंडल की साक्षी में की जाती है जो हमारे समस्त मनोरथों को पूर्ण करती है सांयकालीन मंदिर जी में आरती ,भजन एवं स्वाध्याय धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उधर सायं श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगंबर जैन ट्रस्ट मंदिर में श्री भक्तामर स्त्रोत पाठ एवं सामूहिक आरती का आयोजन सतेंद्र कुमार जैन , प्रभारानी जैन,सारिका जैन, विषांषू जैन लवीना जैन परिवार द्वारा आयोजित किया गया । सभी श्रद्धालुओं ने धार्मिक आयोजन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।इस पुण्य अवसर पर सौधर्म इंद्र अंबुज जैन, प्राची जैन, यज्ञनायक अशोक कुमार जैन,अंजली जैन,कुबेर इंद्र प्रदीप जैन,रेखा जैन ,श्रीपाल मैना सुंदरी संजय जैन , मणि जैन,अनिल जैन श्रीजी , डॉ पी.के.जैन,बसंत कुमार जैन,दीपक जैन ,सौरभ जैन पांड्या ,राजीव जैन शास्त्री,मोहित जैन ,प्रशांत जैन ,अंकित जैन,एवं समाज के महिला पुरुष बच्चे उपस्थित रहे।