सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है, जिसके पाठ से मां भगवती देवी दुर्गा की कृपा भक्त को सहज ही प्राप्त हो जाती है।
देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए रोज सिद्ध कुंजिका स्तोत्र करना चाहिए।
ब्रह्म मुहूर्त का समय सूर्य उदय होने से एक घंटा 36 मिनट पहले प्रारंभ होता है और सूर्य देव के उदय होने से 48 मिनट पहले ही समाप्त हो जाता है।हिंदू धर्म में शक्ति की आराधना का विशेष महत्व बताया गया है और शाक्त परंपरा में अनेक देवियों की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए रोज सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddha Kunjika Stotram) करना चाहिए। पंडित आशीष शर्मा के मुताबिक, सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है, जिसके पाठ से मां भगवती देवी दुर्गा की कृपा भक्त को सहज ही प्राप्त हो जाती है। Siddha Kunjika Stotram के मंत्रों को अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली माना जाता है।
॥सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम्॥
शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्। न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥२॥
कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥३॥गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्। पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥४॥
॥अथ मन्त्रः॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा॥
॥इति मन्त्रः॥
नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥१॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि॥२॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥३॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥४॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥५॥
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥६॥
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥७॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥८॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥
इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥
यस्तु कुञ्जिकाया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम्।
॥ॐ तत्सत्॥
कब करें कुंजिका स्तोत्र का पाठ
कुंजिका स्तोत्र पाठ ब्रह्म मुहूर्त में करना शुभ माना जाता है। नवरात्रि व गुप्त नवरात्रि में यह पाठ रोज करना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त का समय सूर्य उदय होने से एक घंटा 36 मिनट पहले प्रारंभ होता है और सूर्य देव के उदय होने से 48 मिनट पहले ही समाप्त हो जाता है। ऐसे में ब्रह्म मुहूर्त कुल 48 मिनट का समय होता है।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत॥१॥
पूरी धरती पर ब्रह्म मुहूर्त का समय भी अलग-अलग होता है, इसलिए पंचांग के अनुसार, अपने स्थान का ब्रह्म मुहूर्त का समय देखकर कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। हालांकि कुंजिका स्तोत्र का पाठ दिन में भी किया जा सकता है, लेकिन इसके मंत्रों का पाठ सुबह करना ज्यादा प्रभावशाली माना गया है। इससे जातक के जीवन में कई दुखों का नाश होता है और आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है।