सोरोंजी। वरूथिनी एकादशी पर हजारों श्रद्धालुओं ने शुक्रवार को शूकरक्षेत्र की पंचकोसी परिक्रमा लगा कर पुण्य लाभ अर्जित किया
शूकरक्षेत्र पंचकोसी परिक्रमा समाज सेवा समिति की ओर से वराह घाट से पंचकोसी परिक्रमा सुबह सात बजे आरंभ हुई।
सोरोंजी। वरूथिनी एकादशी पर हजारों श्रद्धालुओं ने शुक्रवार को शूकरक्षेत्र की पंचकोसी परिक्रमा लगा कर पुण्य लाभ अर्जित किया। शूकरक्षेत्र पंचकोसी परिक्रमा समाज सेवा समिति की ओर से वराह घाट से पंचकोसी परिक्रमा सुबह सात बजे आरंभ हुई। इससे पूर्व हरि की पौड़ी में गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने क्षेत्राधीश भगवान वराह का विधि-विधान पूर्वक पूजन किया।परिक्रमा हरि की पौड़ी वराह मंदिर से प्रारंभ हुई। सूर्यकुंड, दूधेश्वर, बटुक नाथ मंदिर, जयदेवी पीठ, ग्राम देवी मंदिर होते हुए परिक्रमा का प्रथम पड़ाव 84 घंटे वाली माता मंदिर पर हुआ। बाछरु महाराज, सीता रसोई होते हुए भक्तों का काफिला प्रेम बगीची व सिंगल वाले महाराज देव स्थान पर पहुंचा। यहां गंगा वराह महासभा द्वारा श्रद्धालुओं को फलाहार और जल सेवा को गई। इसके बाद श्रृद्धालु करुआ देव, वनखंडेश्वर महादेव, कपिल मुनि आश्रम ,भागीरथ गुफा, चैतन्य महाप्रभु बैठक, काला गोरा भैरव बाबा मंदिर, पंच महाशक्ति मंदिर होते हुए भगवान वराह मंदिर पर पहुंचे। शूकरक्षेत्र पंचकोसी परिक्रमा समाज सेवा समिति के संयोजक शरद पांडे ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। वैशाख माह और एकादशी तिथि दोनों ही भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए भी इस एकादशी का और भी महत्व बढ़ जाता है। इस दिन लोग भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करते हैं और ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी पर व्रत रखने से लोग किसी भी प्रकार की बुरी ऊर्जा और नकारात्मकता से सुरक्षित रहते हैं, इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य सब पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है। पंचकोसी परिक्रमा में एटा , आगरा, बरेली , बिल्सी, झांसी , कासगंज सहित अनेक ग्रामों से आए श्रद्धालुओं ने प्रतिभाग किया। इस दौरान प्रवीण कुमार द्विवेदी, शिवानंद उपाध्याय, शशांक दीक्षित, योगेश उपाध्याय, विनोद दीक्षित, जयप्रकाश दीक्षित, उपेंद्र उपाध्याय, रामकुमार उपाध्याय, लाखन सिंह आदि मौजूद रहे।