पुलिस अधीक्षक ने आरटीसी रिक्रूट आरक्षियों को विभाग की कार्यशैली व प्रशिक्षण से संबंधित दिए आवश्यक दिशा-निर्देश
हाथरस। पुलिस अधीक्षक चिरंजीव नाथ सिन्हा द्वारा पुलिस लाइन स्थित शैक्षिक कक्ष में रिक्रूट आरक्षियों को प्रशिक्षण से जुड़े विविध पहलुओं पर संबोधित किया गया

हाथरस। पुलिस अधीक्षक चिरंजीव नाथ सिन्हा द्वारा पुलिस लाइन स्थित शैक्षिक कक्ष में रिक्रूट आरक्षियों को प्रशिक्षण से जुड़े विविध पहलुओं पर संबोधित किया गया। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक ने प्रशिक्षु आरक्षियों को पुलिस विभाग की वर्तमान कार्यशैली और प्रशिक्षण की महत्ता को विस्तार से समझाया और उन्हें उनके कर्तव्यों व दायित्वों के प्रति प्रेरित किया । सर्वप्रथम पुलिस अधीक्षक द्वारा बताया गया कि वर्तमान समय में पुलिस केवल “कानून व्यवस्था बनाए रखने वाला बल” नहीं रह गया है, बल्कि यह एक जनहितकारी, तकनीकी दक्ष, संवेदनशील एवं उत्तरदायी सेवा संगठन* बन चुका है। आज पुलिस को न केवल अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी निभानी है, बल्कि वह नागरिकों के प्रति पारदर्शिता, संवेदनशीलता और जवाबदेही का भी निर्वहन करती है।
उन्होंने प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डाला, जैस
साइबर अपराध नियंत्रण
• महिला व बाल सुरक्षा
• सामुदायिक पुलिसिंग
• भीड़ प्रबंधन एवं आपदा प्रतिक्रिया
• नारी सम्मान व मिशन शक्ति अभियानों में सक्रिय सहभागिता
पुलिस अधीक्षक द्वारा बताया गया कि कि एक आरक्षी सबसे निचले स्तर पर जनता से सीधे संपर्क में रहता है। अतः वह पुलिस व्यवस्था का चेहरा होता है, और उसी के आचरण से जनता पुलिस की छवि बनाती है।उन्होंने प्रशिक्षुओं को स्पष्ट किया कि प्रशिक्षण केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह उनके पूरे पुलिस जीवन की नींव है। उन्होंने जोर देकर कहा कि—“प्रशिक्षण काल जितना सघन, गंभीर और व्यवहारिक होगा, आपकी सेवा उतनी ही सशक्त, प्रभावी और सराहनीय होगी।” प्रशिक्षण के प्रमुख अंगों जैसे कानूनी ज्ञान, अपराध अनुसंधान, शारीरिक दक्षता, ड्रिल, शस्त्र संचालन, साइबर सुरक्षा, आपराधिक मनोविज्ञान, मानवाधिकार, आदि को गंभीरता से आत्मसात करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। आधुनिक अपराध की प्रवृत्तियों पर बात करते हुए बताया कि अब अपराध केवल गली-मोहल्लों तक सीमित नहीं हैं। साइबर अपराध, बैंक धोखाधड़ी, ऑनलाइन ठगी, सोशल मीडिया दुष्प्रचार जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसलिए हर पुलिसकर्मी को अब तकनीकी रूप से भी सशक्त होना होगा। उन्होंने प्रशिक्षुओं को साइबर क्राइम अवेयरनेस, डिजिटल साक्ष्य संकलन, और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग जैसे विषयों पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता बताई। प्रशिक्षुओं को निष्ठा, ईमानदारी, सेवा भाव, संवेदनशीलता और निरंतर सीखते रहने की भावना के साथ कार्य करने की शुभकामनाएं दीं।