विदेश

चेक रिपब्लिक की सर्वोच्च अदालत ने अमेरिका को बड़ा झटका दिया

कोर्ट ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के अमेरिका प्रत्यर्पण के उस आदेश को रोक दिया,

चेक रिपब्लिक की सर्वोच्च अदालत ने अमेरिका को बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के अमेरिका प्रत्यर्पण के उस आदेश को रोक दिया, जिसे निचली अदालतों ने मंजूर किया था. निखिल गुप्ता को अमेरिका ने खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में अभियुक्त बनाया है. इससे पहले चेक रिपब्लिक की निचली अदालतों ने निखिल गुप्ता के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी. अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने आरोप लगाया कि निखिल ने एक कॉन्ट्रैक्ट किलर को पन्नू की हत्या के लिए पैसे दिए थे. बता दें कि इस मामले की में भारत ने भी जांच टीम का गठन किया है, टीम भी अपने तरीके जांच कर रही है

जब तक फैसला नहीं आएगा, तब तक नहीं होगा प्रत्यर्पण
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने अपने आदेश के पीछे यह तर्क दिया कि निखिल गुप्ता को अमेरिका प्रत्यर्पित करने में देरी भी होती है तो इससे आम जनता के हितों को कोई नुकसान नहीं होगा. 30 जनवरी 2024 को प्राग की एक अदालत ने कहा था कि गुप्ता को आपराधिक मुकदमे के लिए अमेरिका प्रत्यर्पित करने का सबसे अधिक खामियाज़ा निखिल को खुद भुगतना पड़ेगा. कोर्ट ने ये भी कहा, अगर अदालत ने गुप्ता को प्रत्यर्पित कर दिया और उसके बाद अगर अदालत में उनकी चुनौती को मान लिया जाए तो भी उन्हें वापस लाना संभव नहीं है.चेक गणराज्य के न्याय मंत्रालय की प्रवक्ता मार्केता आंद्रोवा ने बताया कि इस अंतरिम आदेश का मतलब है कि जब तक संवैधानिक अदालत निखिल गुप्ता की याचिका पर फैसला नहीं कर लेती है, तब तक न्याय मंत्रालय गुप्ता को प्रत्यर्पित किए जाने या इससे मना करने पर कोई निर्णय नहीं कर सकता.

वकील ने बयान देने से किया इनकार
दरअसल, निखिल गुप्ता ने 19 जनवरी 2024 को प्राग की निचली अदालत और 8 जनवरी 2024 को प्राग की हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. दोनों अदालतों ने अमेरिका की ओर से निखिल गुप्ता को प्रत्यर्पित किए जाने के निवेदन पर स्वीकृति दी थी. खबर के अनुसार, गुप्ता के वकील ने ये दलील दी थी कि निचली अदालत और हाई कोर्ट ने प्रत्यर्पण की प्रकृति का पूरी तरह आकलन नहीं किया. इंडियन एक्सप्रेस ने गुप्ता की वकील ज़ूजाना कर्नेका से सवाल किया. उन्होंने कहा कि वह अपने मुवक्किल की इजाज़त के बिना कोई बयान नहीं दे सकती हैं. चेक गणराज्य के प्रतिनिधि ने कहा कि प्रत्यर्पण पर अदालत का फैसला आने के लिए कोई तय समयसीमा नहीं है.

JNS News 24

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