पिछले साल अमेरिका में शुरू हुआ बैंकिंग संकट अभी भी समाप्त नहीं हुआ है.
अमेरिका के रिपब्लिक फर्स्ट बैंकॉर्प (रिपब्लिक बैंक) का. फिलाडेल्फिया बेस्ड इस अमेरिकी बैंक को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था.
पिछले साल अमेरिका में शुरू हुआ बैंकिंग संकट अभी भी समाप्त नहीं हुआ है. इस साल फिर से एक अमेरिकी बैंक को संकट से गुजरना पड़ा है और उसमें अंतत: अथॉरिटीज के दखल की जरूरत पड़ गई है. संकट बढ़ने के बाद प्राधिकरणों को बैंक को जब्त करना पड़ गया और उसके बाद उसे बेचने का फैसला लिया गया.यह मामला है अमेरिका के रिपब्लिक फर्स्ट बैंकॉर्प (रिपब्लिक बैंक) का. फिलाडेल्फिया बेस्ड इस अमेरिकी बैंक को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉर्प ने बताया कि संकट को देखते हुए स्थानीय नियामक पेन्सिलवेनिया डिपार्टमेंट ऑफ बैंकिंग एंड सिक्योरिटीज ने रिपब्लिक बैंक को सीज कर लिया. उसके बाद फुल्टन बैंक के हाथों बेचने पर सहमति बनी है.
बैंक के फेल्योर की कीमत रिपब्लिक बैंक अमेरिका के प्रमुख क्षेत्रीय बैंकों में गिना जाता था. फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉर्प यानी एफडीआईसी के अनुसार, 31 जनवरी 2024 तक के उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से रिपब्लिक बैंक के पास टोटल एसेट के रूप में करीब 6 बिलियन डॉलर थे. वहीं बैंक के पास लगभग 4 बिलियन डॉलर का डिपॉजिट था. एफडीआईसी का अनुमान है कि इस बैंक के फेल होने की लागत 667 मिलियन डॉलर आएगी.नियामक के अनुसार, अब शनिवार को या सोमवार को रिपब्लिक बैंक के ब्रांच फुल्टन बैंक के ब्रांच के तौर पर खुलेंगे. रिपब्लिक बैंक के इन ब्रांचों की संख्या 32 है, जो पेन्सिलवेनिया के अलावा न्यू जर्सी और न्यूयॉर्क में स्थित हैं.
साल भर पहले बंद हुए ये बैंक
यह पिछले कुछ समय के दौरान चौथे अमेरिकी रीजनल बैंक का फेल्योर है. इससे पहले पिछले साल अमेरिका के तीन रीजनल बैंक बैंकिंग संकट की भेंट चढ़ गए थे. पिछले साल मार्च में सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक संकट का शिकार हुआ था. उसके बाद मई में फर्स्ट रिपब्लिक बैंक बंद हुआ था. अब साल भर बाद रिपब्लिक बैंक को संकट के चलते सीज करना पड़ा है.
पिछले साल शुरू हुआ संकट
इससे पहले रिपब्लिक बैंक संकटों को दूर करने का प्रयास कर रहा था और कुछ निवेशकों के साथ फंड जुटाने के लिए उसकी बातचीत चल रही थी. बैंक को परिचालन की अधिक लागत के चलते मुनाफे के मोर्चे पर संघर्ष करना पड़ रहा था. पिछले साल से शुरू संकट के बाद बैंक का शेयर 2 डॉलर से गिरकर महज 1 सेंट पर आ गया था. इससे बैंक का एमकैप कम होकर 2 मिलियन डॉलर से भी नीचे आ गया था.