पिछले कुछ सप्ताह से विभिन्न दालों की कीमतों में आ रही तेजी के बीच केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप किया
ट्रेडर्स के द्वारा विभिन्न दालों के भंडार का साप्ताहिक आधार पर खुलासा सुनिश्चित करें.
पिछले कुछ सप्ताह से विभिन्न दालों की कीमतों में आ रही तेजी के बीच केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप किया है. केंद्र की ओर से सभी राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे ट्रेडर्स के द्वारा विभिन्न दालों के भंडार का साप्ताहिक आधार पर खुलासा सुनिश्चित करें. साथ ही राज्यों को ट्रेडर्स के द्वारा किए गए खुलासे को सत्यापित करने के लिए भी कहा गया है.बुधवार को एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि केंद्र सरकार ने जिन दालों के स्टॉक को लेकर खुलासे का प्रावधान किया है, उनमें अरहर दाल, उड़द दाल, चना दाल, मसूर दाल और मूंग दाल शामिल है. इनके अलावा आयातित पीली मटर दाल के स्टॉक की भी निगरानी करने के लिए कहा गया है. पीली मटर दाल के आयात की मंजूरी पिछले साल के अंत में दी गई थी. यह मंजूरी 8 दिसंबर से 30 जून तक के लिए है.
राज्यों को दिए गए ये निर्देश बयान के अनुसार, कंज्युमर अफेयर्स डिपार्टमेंट की सेक्रेटरी निधि खरे ने दालों की कीमतों पर लगाम लगाने की कवायद के तहत राज्यों के प्रधान सचिवों व उपभोक्ता मामले के विभाग के सचिवों के साथ मुलाकात की. उन्होंने सभी राज्य सचिवों को स्टॉकहोल्डिंग एंटिटीज के द्वारा स्टॉक डिस्क्लोजर सुनिश्चित करने के लिए कहा. उन्होंने दाल के आयातकों समेत इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों के साथ भी मुलाकात की.
सबसे ज्यादा बढ़े अरहर दाल के भाव
सरकार ने यह कदम ऐसे समय उठाया है, जब पिछले कुछ सप्ताह के दौरान विभिन्न दालों खासकर पीली मटर, अरहर और उड़द की दाल की कीमतों में तेजी देखी गई है. अप्रैल की शुरुआत में अरहर दाल की कीमतें एक महीने पहले की तुलना में 100 रुपये तक बढ़ गईं. अभी अरहर दाल के भाव अन्य दालों की तुलना में सबसे ज्यादा हैं. अरहर दाल की मौजूदा औसत कीमत 160 रुपये किलो है. अरहर दाल के अलावा मूंग और मसूर दाल के मामले में भी कीमतों में इसी तरह की तेजी देखी गई है.
इस तरह बढ़ी दालों की महंगाई
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जनवरी महीने में दालों की थोक महंगाई 16.06 फीसदी पर थी. थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई उसके बाद फरवरी महीने में बढ़कर 18.48 फीसदी पर पहुंच गई. दालों की कीमतों में ऐसे समय तेजी आ रही है, जब देश में लोकसभा चुनावों की शुरुआत इसी महीने से हो रही है, जो जून के पहले सप्ताह तक चलने वाला है.