बस्ती में होली से पहले एक प्राइवेट स्कूल के फरमान ने हड़कंप मचा दिया
हिंदू संगठनों ने इस मुद्दे को हाथों हाथ ले लिया और स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की

बस्ती में होली से पहले एक प्राइवेट स्कूल के फरमान ने हड़कंप मचा दिया है. स्कूल की तरफ से कहा गया है कोई बच्चा रंग नहीं खेलेगा और न उनके अभिभावक पार्टी करेंगे या अपने बच्चों को पार्टी के लिए पैसे ही देंगे. बस इस निर्देश के जारी होने के बाद विरोध शुरू हो गया. हिंदू संगठनों ने इस मुद्दे को हाथों हाथ ले लिया और स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की है. रंगों के त्योहार होली खुशियां लेकर आता है, फिर कैसे एक प्राइवेट स्कूल अपने एजेंडे को जबरन विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों पर थोप सकता है.सोशल मीडिया पर स्कूल का फरमान जारी होने का नोटिस वायरल होते ही हर कोई चौंक गया. स्कूल के इस फैसले का विरोध होने लगा, अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा लगाने वाले स्कूल पर तला लगाने की बात की जाने लगी. समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय ने सेंट जोसेफ स्कूल जिगिना बस्ती द्वारा जारी होली का त्यौहार न मनाने के तुगलकी फरमान पर विरोध जताते हुए मांग की है कि बहुसंख्यक हिन्दू समाज के तिथि त्यौहारों व चोटी तिलक कलावा पर प्रतिबंध लगाने का किसी को अधिकार नहीं है.बकायदा अभिभावकों व बच्चों को सूचना दिए जाने वाले ग्रुप में स्पष्ट निर्देश जारी कर बच्चों को स्कूल से लेकर घर तक पार्क से लेकर पार्टी तक होली मनाने से न केवल मना किया गया बल्कि फरमान जारी हुआ कि यदि ऐसा किसी ने किया तो उसे परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा. जबकि होली दीपावली दशहरा हम हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है. चंद्रमणि पाण्डेय ने जिलाधिकारी बस्ती व शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मांग किया कि ऐसे विद्यालय का तत्काल मान्यता प्रत्याहरण कर संचालन बंद कराया जाए वरना जागृत हिन्दू समाज आन्दोलन को बाध्य होगा.वहीं विश्व हिंदू महासंघ ने भी स्कूल के इस निर्देश का पुहजोर विरोध किया है और उक्त आदेश को वापस लेने व प्रशासन ने स्कूल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है. वहीं स्कूल का पक्ष लेने के लिए हमने कई बार प्रयास किया मगर स्कूल मैनेजमेंट की तरफ से कोई बात करने को तैयार नहीं हुआ. जब कि बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा मामले की जानकारी हुई है, स्कूल से बात कर उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.उन्होंने कहा हम बहुसंख्यक होकर आपको क्रिसमस मनाने से मना नहीं करते तो इसका मतलब कोई हमारी संस्कृति पर सवाल नहीं खड़ा कर सकता. चंद्रमणि ने कहा कोई भी शिक्षण संस्थान शिक्षा देने के लिए है, हमारी धार्मिक मान्यताओं व तिथि त्यौहारों के निर्धारण व उसे मनाने या न मनाने का निर्देश देने का अधिकार उसे नहीं है. इसलिए निश्चित तौर पर स्कूल प्रबंधन का ये कृत्य क्षम्य नहीं है.