अष्टान्हिका पर्व पर आयोजित आठ दिवसीय कार्यक्रम का हुआ समापन।
खिरनी गेट पर स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन मंदिर मे चल रहे श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान का समापन हवन के साथ हुआ

खिरनी गेट पर स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन मंदिर मे चल रहे श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान का समापन हवन के साथ हुआ। आठ दिवसीय कार्यक्रम में प्रतिदिन प्रात: मंदिर जी में श्रीजी का अभिषेक , शांतिधारा नित्य नियम पूजन एवं अष्टद्रव्य से विधान हुआ। जिसमें प्रतिदिन 8,16,32,64,128,256,512,1024 के क्रम में अर्घ श्रीजी के समक्ष श्रावक श्राविकाओं ने समर्पित किए।
गिरीश कुमार जैन ने विधान में उपस्थित श्रृद्धालुओं को विधान की महिमा को समझाया कि जैन परंपरा में सिद्ध चक्र महामंडल विधान का विशेष महत्व है उन्होंने बताया कि सिद्ध चक्र विधान में सभी पूजाएं समाहित हो जाती है। भाव विशुद्धि के साथ इस विधान का अनुष्ठान करने से घर-गृहस्थी के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसी मान्यता भी है कि गृहस्थजनों के जीवनभर में हुए ज्ञात-अज्ञात पापों के प्रायश्चित के लिए एक बार ये विधान जरूर करना चाहिए। उन्होंने बताया हजारों साल पहले मैना सुंदरी नामक महिला ने पहली बार सिद्ध चक्र महामंडल विधान किया था और इसे करने से उसके पति का कुष्ठरोग ठीक हो गया था। तभी से सिद्ध चक्र महामंडल विधान करने की परंपरा शुरू हुई। अजय कुमार जैन द्वारा हवन की मांगलिक क्रियाएं करायी।
सांयकालीन गंगेरवाल जैन सभा एवं महिला प्रकोष्ठ के तत्वावधान में श्री भक्तामर स्त्रोत्र पाठ ,आरती एवं भजन का आयोजन पुण्यार्जक परिवारों द्वारा आयोजित किया गया। इस मौके पर संतोष कुमार जैन,नृपेंद्र जैन,अनिल जैन,विनय जैन,राजीव जैन,उदयवीर सिंह जैन,सरोज जैन,रजनी जैन , राजमोहिनी जैन,इंद्रा जैन ,रश्मि जैन,मंजू जैन,रीता जैन, प्रद्युम्न कुमार जैन,विजय कुमार जैन,नीरज जैन,प्रकाश जैन,मनोज जैन,सुनीलजैन,मधु जैन,अर्चना जैन,पूर्वी जैन,ऋतु जैन, मोना जैन, मीनू जैन एवं समाज के महिला पुरुष बच्चे उपस्थित रहे।