चीन उइगर मुस्लिमों के साथ अत्याचार करता है, ये बात किसी से छिपी नहीं है. चीन के अत्याचारों के ढेरों वीडियो सामने आ चुके हैं
उइगर मानवाधिकार नेताओं ने पूर्वी तुर्किस्तान क्षेत्र में उइगर, कजाख, किर्गिज और अन्य तुर्क समूहों के खिलाफ चीन के जरिए किए जा रहे
चीन उइगर मुस्लिमों के साथ अत्याचार करता है, ये बात किसी से छिपी नहीं है. चीन के अत्याचारों के ढेरों वीडियो सामने आ चुके हैं. यही वजह है कि मानवाधिकार समूह लंबे समय से चीन पर एक्शन की मांग कर रहे हैं. ऐसी ही मांग एक बार फिर से उठी है. उइगर मानवाधिकार नेताओं ने पूर्वी तुर्किस्तान क्षेत्र में उइगर, कजाख, किर्गिज और अन्य तुर्क समूहों के खिलाफ चीन के जरिए किए जा रहे नरसंहार और अपराधों को लेकर कार्रवाई की मांग की है. मानवाधिकार नेताओं ने ग्लोबल एक्शन की मांग ऐसे समय पर की है, जब अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने 22 अप्रैल को 2023 मानवाधिकर रिपोर्ट जारी की. इसमें दुनियाभर में हो रहे मानवाधिकर अपराधों की जानकारी है. ‘ईस्ट तुर्किस्तान गवर्नमेंट इन एक्साइल’ (ईटीजीई) ने एक बयान में कहा, “ईटीजीई पूर्वी तुर्किस्तान में उइगर, कजाख, किर्गिज और अन्य तुर्क समूहों के खिलाफ चीन के नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों पर पर्याप्त ग्लोबल एक्शन की मांग करते हैं.”
चीन किस तरह के अत्याचार कर रहा? समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बयान में कहा गया, “इन अत्याचारों में सामूहिक नजरबंदी, जबरन मजदूरी और लगभग दस लाख तुर्क बच्चों को सरकार के जरिए ऑपरेट होने वाले फैसिलिटी में जबरन बंद करना शामिल है.” ईटीजीई के विदेश मंत्री सलीह हुदयार ने कहा, “चीनी सरकार और सीसीपी पूर्वी तुर्किस्तान पर अपने औपनिवेशिक कब्जे को बनाए रखने के लिए नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों को उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.”
अमेरिका समेत लोकतांत्रिक देशों से एक्शन की मांग ईटीजीई ने गुजारिश की है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से अग्रणी लोकतांत्रिक देश और अंतरराष्ट्रीय संगठन निंदा करने के अलावा भी एक्शन लेने का काम करें. इसका कहना है कि पूर्वी तुर्किस्तान में चल रहे नरसंहार को समाप्त करने के लिए चीन पर दबाव डालने के लिए प्रतिबंधों, राजनयिक दबावों और अन्य जरूरी उपाय किए जाएं. ईटीजीई ने अमेरिका और अन्य लोकतांत्रिक देशों से पूर्वी तुर्किस्तान को एक आजाद देश के रूप में मान्यता देने का आग्रह भी किया है.
चीन के अपराधों का कच्चा-चिट्ठाईटीजीई ने बताया कि मई 2014 में चीन की सरकार ने अतिवाद, अलगाववाद और आतंकवाद से निपटने के नाम पर पूर्वी तुर्किस्तान में उइगरों और अन्य तुर्क लोगों पर ‘पीपुल्स वॉर’ का ऐलान किया. 2016 तक ‘पीपुल्स वॉर’ मानवता के खिलाफ नरसंहार और अपराधों के रूप में तब्दील हो गया. इसकी मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय संगठनों की तरफ से कोई एक्शन नहीं लेना रहा. चीन ने लोगों को कन्संट्रेशन कैंपों में ठूसना शुरू कर दिया. लाखों लोगों को नजरबंद किया गया. ईटीजीई के बयान में बताया गया है कि सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि कैंपों में हजारों लोगों की नसबंदी की गई. महिलाओं के साथ दुष्कर्म किए गए और उनकी भी नसबंदी कर दी गई. लाखों लोगों को कैंपों में ठूसकर उनसे जबरन मजदूरी करवाने की भी जानकारी सामने आई. तुर्क और उइगर महिलाओं की चीनी पुरुषों से शादी करवाई गई. उइगर इलाकों में मौजूद धार्मिक और सांस्कृतिक इमारतों को ढहाया गया. तुर्क और उइगर भाषाओं पर पाबंदी लगा दी गई.