होली का पर्व राधा-कृष्ण से जुड़ा है, इसलिए ब्रज में इसकी रौनक खास होती है
होली उत्सव 40 दिन तक चलता है, इसमें कहीं लठ्ठमार होली, लड्डू होली तो कहीं फूलों की होली का खास महत्व है.
हिंदू धर्म में होली का त्योहार कई तरह से मनाया जाता है. होली का पर्व राधा-कृष्ण से जुड़ा है, इसलिए ब्रज में इसकी रौनक खास होती है. ब्रज में बसंत पंचमी से शुरू होने वाला होली उत्सव 40 दिन तक चलता है, इसमें कहीं लठ्ठमार होली, लड्डू होली तो कहीं फूलों की होली का खास महत्व है.फाल्गुन में फुलेरा दूज के दिन फूलों की होली खेलने की परंपरा निभाई जाती है. फुलेरा दूज के दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी की विधि विधान पूर्वक पूजा कर उन्हें रंग बिरंगे फूल अर्पित किए जाते हैं. मान्यता है इससे वैवाहिक जीवन संबंधी समस्त समस्या खत्म हो जाती है. जानें 2024 में फुलेरा दूज की डेट, पूजा मुहूर्त और महत्व.
पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाता है. इस साल फुलेरा दूज 12 मार्च 2024, मंगलवार को है. इसे फुलेरिया दूज के नाम से भी जाना जाता है.फुलेरा दूज 2024 मुहूर्त फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 11 मार्च 2024, सुबह 10 बजकर 44 मिनट पर होगी और अगले दिन 12 मार्च 2024 को सुबह 07 बजकर 13 मिनट पर इसका समापन होगा.
- राधा-कृष्ण पूजा मुहूर्त – सुबह 09.32 – दोपहर 02.00 (12 मार्च 2024)
- गोधुलि मुहूर्त – शाम 06.25 – शाम 06.50
फुलेरा दूज महत्व फुलेरा दूज को रंगों का त्योहार भी माना जाता है. यह त्योहार राधा और कृष्ण जी के मिलन के दिन के रूप में मनाया जाता है. स दिन श्रीकृष्ण और राधा रानी के साथ फूलों की होली खेली जाती है और माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है. मथुरा और वृंदावन में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. फुलेरा दूज का दिन समस्त प्रकार के दोषों से मुक्त होता है. इसलिए इस दिन को मांगलिक कार्य खासकर विवाह के लिए बहुत शुभ माना जाता है. इस त्योहार को अबूझ मुहूर्त माना जाता है. इस दिन नया बिजनेस शुरू करना शुभ होता है, इस दिन श्रृंगार की वस्तुएं दान करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.