हाथरस

पुरदिलनगर में कांच उद्योग का उदगम कई दशक पूर्व हुआ था। पहले यहां भट्टियों पर सुहाग की हरी, नीली, पीली व लाल चूड़ियां बना करतीं थीं।

विकास के क्रम में चूड़ी उद्योग कम हो गया, मूंगा मोती का काम पनप गया।

पुरदिलनगर में कांच उद्योग का उदगम कई दशक पूर्व हुआ था। पहले यहां भट्टियों पर सुहाग की हरी, नीली, पीली व लाल चूड़ियां बना करतीं थीं। विकास के क्रम में चूड़ी उद्योग कम हो गया, मूंगा मोती का काम पनप गया।कस्बा पुरदिलनगर में बने मूंगा-मोती की मांग कई शहरों और प्रदेशों से विदेशों में है, लेकिन महंगे ईंधन और ट्रांसपोर्ट के साधन कम होने से इसकी चमक फीकी पड़ती जा रही है। यहां का मूंगा मोती कारोबार आज धुंधला होता जा रहा है। तीन दशक से चीन निर्मित माल ने पुरदिलनगर के उद्योग काफी हद तक प्रभावित किया है। यहां बने माल को सस्ता करने के लिए उद्योग को सरकारी मदद की आस है। गैस आपूर्ति, ट्रांसपोर्ट के सस्ते साधन व जीएसटी से मुक्ति कारोबारी की प्रमुख मांगे हैं। इस लोकसभा चुनाव में पुरदिलनगर का कारोबार बड़ा मुद्दा बन रहा है।पुरदिलनगर में कांच उद्योग का उदगम कई दशक पूर्व हुआ था। पहले यहां भट्टियों पर सुहाग की हरी, नीली, पीली व लाल चूड़ियां बना करतीं थीं। विकास के क्रम में चूड़ी उद्योग कम हो गया, मूंगा मोती का काम पनप गया। कारीगर नई-नई डिजायन के नग और कांच की कलाकृति बनाने लगे। यूरोपीय देशों तक पुरदिलनगर का माल पहुंचा तथा निर्यात बढ़ गया। यहां के नग मूंगा मोती के काम से प्रियंका वाड्रा तथा राबर्ट वाड्रा भी जुड़े हुए थे। कई बार प्रियंका वाड्रा ने यहां का दौरा किया भी किया है। वर्ष 2000 से चीन का माल आया, जो कि यहां के माल के मुकाबले काफी सस्ता था। तब से ही यहां मूंगा मोती का काम ठप होने लगा। सरकार से गैस की आपूर्ति न होने के कारण लागत कम करना मुश्किल हो गया। लिहाजा अब यहां के लोगों को सरकार से मदद की आवश्यकता है। इसमें सबसे अहम लागत कम करने के लिए गैस आपूर्ति, ट्रांसपोर्ट से सस्ते साधन व इस उद्योग को जीएसटी से मुक्त करने की आवश्यकता है।लकड़ी व एलपीजी की भट्टियों पर हो रहा काम पुरदिलनगर में केवल कांच के कड़े तथा कुछ अन्य माल लकड़ी व एलपीजी की भट्टियों पर बनाया जा रहा है। जिसके चलते लागत काफी अधिक आ रही है। यहां भी फिरोजाबाद की भांति सरकार सस्ती नेचुरल गैस उपलब्ध कराए तो लागत को कम किया जा सकता है। इससे बाजार से पुरदिलनगर का कारोबार प्रतिस्पर्धा कर सकता है।चीन के माल पर दिखा रहे हुनर

पुरदिलनगर में अब कुछ इकाइयां चीन से कच्चा माल मंगा कर उसकी सूरत बदलने का काम कर रही हैं। इन इकाइयों के मार्फत यहां श्रमिक चीन से आए कच्चे माल पर अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए नए उत्पाद तैयार कर रहे हैं। जिनकी मांग अब बाजार में धीरे धीरे जोर पकड़ रही है। इस तरह भी अगर सरकार सीधे तौर पर उद्यमियों की मदद को आगे आए तो आज भी कारोबार की सूरत बदली जा सकती है।कारोबार एक नजर में 02 हजार से अधिक परिवार बनाते थे मूंगा मोती।200 करोड़ से अधिक का था सालाना कारोबार।100 परिवारों तक ही सिमट कर रह गया उद्योग।20 से अधिक इकाई चीन से आने वाले मोतियों का काम। 60 से अधिक इकाइयों में बनते हैं हाथ के कड़े।

JNS News 24

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