भारत सरकार ने साल 2016 के नवंबर महीने में 500 और 1000 रुपये के नोटों को अवैध करार कर दिया गया.
नोटबंदी को 8 साल हो चुका है. ऐसे में एक सवाल ये भी है कि नोटबंदी से जाली नोटों पर अंकुश लग पाया?
भारत सरकार ने साल 2016 के नवंबर महीने में 500 और 1000 रुपये के नोटों को अवैध करार कर दिया गया. इस फैसले के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि इससे लोगों की अघोषित संपत्ति सामने आएगी और जाली नोटो का चलन भी रुक जाएगा.अब इस नोटबंदी को 8 साल हो चुका है. ऐसे में एक सवाल ये भी है कि नोटबंदी से जाली नोटों पर अंकुश लग पाया?तो जवाब है हां, दरअसल हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जो आंकड़ा जारी किया है उससे पता चलता है कि भारत में साल 2016 के बाद से जाली नोट या नकली नोटों की छपाई तेजी से घटी है.आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में लगभग ₹7.98 करोड़ मूल्य के नकली नोटों का पता चला था. जो कि वित्त वर्ष 2014 में पाए गए 24.84 करोड़ के नकली नोटों से 68 फीसदी कम है.वही वित्त वर्ष 2014-15 में 28.7 करोड़ रुपये का जाली नोट बरामद किया गया था. वित्त 2015-16 में यही रकम 29.6 करोड़, वित्त वर्ष 2016-17 में 43.5 करोड़ जाली नोट बरामद किए गए थे.नोटबंदी के अगले साल ही यानी वित्त वर्ष 2017-18 में 23.4 करोड़ नकली नोट बरामद किए गए जो कि पिछले पांच सालों की तुलना में सबसे कम था. इसके बाद वित्त वर्ष 2018-19 में 8.2 करोड़, 2019-20 में 7.5 करोड़, 2020-21 में 5.5 करोड़, 2021-22 में 8.5 करोड़ जाली नोट पाए गए.
क्यों बनाए जाते हैं जाली नोटनकली नोट या जाली नोट को अमुमन सिस्टम को धोखा देने के इरादे से बनाया जाता है. अगर किसी देश में बहुत ज्यादा नकली नोट छप रहे हैं तो इसका सीधा असर उस देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है.बिजनोस स्टैडर्ड की एक रिपोर्ट में बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस कहते हैं, ”नकली नोट देश की अर्थव्यवस्था के लिए लगातार खतरा बनी हुई है. इस तरह के नोटो को इतने बारिकी से छापा जाता है कि एक आम इंसान का असली और नकली के बीच अंतर करना काफी मुश्किल हो जाता है और जब तक किसी व्यक्ति को पता चलता है कि यह नकली है, तब तक वह नोट अर्थव्यवस्था में आगे फैल चुका होता है. हालांकि इस समस्या से सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया परेशान है.”
भारत में नकली नोट में तेज गिरावटआरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2016-17 में नकली नोट 43.46 करोड़ तक पहुंच गए थे. ये वही साल था जब नोटबंदी की घोषणा की गई थी. हालांकि उसके बाद से ही वित्त वर्ष 2022 में नकसली नोटो की संख्या तेजी से घटकर ₹8.26 करोड़ और वित्त वर्ष 2023 में 7.98 करोड़ तक पहुंच गया.
सबसे ज्यादा 500 के नकली नोटआरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि अब तक जितने भी नकली नोट बरामद किए गए हैं उसमें से सबसे ज्यादा 500 और 100 रुपये के ही निकले हैं.वित्त वर्ष 2021-22 में पाए गए कुल नकली नोटो में से 79,699 नोट 500 के थे. जबकि 92,237 नोट 100 रुपये के बरामद किए गए है.वहीं वित्त वर्ष 2022-23 में 500 रुपये का 91,110 नोट पाया गया. जबकि 100 रुपये के 78,699 नोट पाए गए.
2000 के भी मिले जाली नोटनोटबंदी के बाद जब पहली बार भारतीय रिज़र्व बैंक 500 और 2000 का नोट लेकर आई थी उस वक्त उन्होंने कहा था कि बाज़ार में पांच सौ और दो हज़ार रुपये के नए का नकल कर पाना मुश्किल होगा, लेकिन भारतीय स्टेट बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार 1000 रुपये के बैन कर दिए जाने के बाद अब 2000 के नकली नोट भी मिल रहे है. वित्त वर्ष 2021-22 में कुल 13,604 ऐसे नोट पाए गए जो नकली थे. वहीं वित्त वर्ष 2022-23 में यह संख्या 9,806 थी.
नोटबंदी के बद कैशलेस हुई अर्थव्यवस्था इस तथ्य से भी नहीं नकारा जा सकता कि नोटबंदी के फ़ैसले के बाद, भारत की अर्थव्यवस्था डिज़िटल होने की ओर अग्रसर हुई है. 2016 के अंत में जब नोटबंदी का फ़ैसला लिया गया था तब कैशलेस पेमेंट में धीरे धीरे बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही थी.
नकली नोटों को लेकर आरबीआई की गाइ़लाइंसआरबीआई के निर्देशों के अनुसार अगर आपके एक ट्रांजैक्शन में चार नकली नोट निकल जाते हैं तो नोडल बैंक अधिकारी को पुलिस को इसके बारे में रिपोर्ट करना होगा. इसके साथ ही उस जाली नोट भी पुलिस को जमा कराना होगा.अगर एक ट्रांजैक्शन में पांच नकली नोट निकल जाते हैं तो नोडल ऑफिसर को तुरंत लोकल पुलिस को सूचित करना होगा. इसके साथ ही FIR दर्ज करवाकर इसकी जांच की जाएगी, रिपोर्ट की एक कॉपी बैंक की मेन ब्रांच को भेजना होगा.
बैन नोटों का 99 प्रतिशत हिस्सा वापस बैंक के पास भारतीय रिजर्व बैंक की अगस्त, 2018 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया था कि 500 और 1000 रुपये के बैन किए नोटों का 99 प्रतिशत हिस्सा वापस बैंकों के पास लौट आया है. इस रिपोर्ट ने उस वक्त लोदों तो चौंका दिया था और इसके बाद नोटबंदी की आलोचना भी तेज़ हुई थी. इससे रिपोर्ट से ये संकेत मिला था कि लोगों के पास जिस गैर कानूनी संपत्ति की बात कही जा रही थी, वो सच नहीं थी और अगर सच थी भी तो लोगों ने अपनी गैरक़ानूनी संपत्ति को क़ानूनी बनाने का रास्ता निकाल लिया था.