मिडिल ईस्ट में चल रहे संघर्ष थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. अब इनका दुष्प्रभाव कारोबार पर दिखाई देने लगा है.
चीन से आने वाले सामान पर माल भाड़ा बढ़ने की वजह से आईटी हार्डवेयर, टीवी, वॉशिंग मशीन और एसी जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामानों की कीमत में उछाल आने की पूरी आशंका है.
मिडिल ईस्ट में चल रहे संघर्ष थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. अब इनका दुष्प्रभाव कारोबार पर दिखाई देने लगा है. शिपिंग कंटेनर्स की कमी और चीन से आने वाले सामान पर माल भाड़ा बढ़ने की वजह से आईटी हार्डवेयर, टीवी, वॉशिंग मशीन और एसी जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामानों की कीमत में उछाल आने की पूरी आशंका है. इसका असर भारतीय कस्टमर्स पर पड़ेगा.
कुछ जगहों का माल भाड़ा लगभग चार गुना तक बढ़ गया बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले 2 महीनों में कुछ जगहों का माल भाड़ा लगभग चार गुना तक बढ़ गया है. अमेरिका और यूरोप पहुंचने के लिए पहले जहाज स्वेज नहर का रास्ता लिया करते थे. अब संकट से बचने के लिए उन्हें लगभग 8500 किमी लंबा रास्ता लेना पड़ रहा है. यह रूट लगभग 330 बड़े जहाज, जिन पर करीब 12 हजार कंटेनर लदे हुए हैं, ने अपनाया है. इसके चलते चीन के पोर्ट्स पर मई से ही जहाजों की कमी होने लगी है. साथ ही मैन्युफैक्चरिंग के तरीके भी कंपनियों को बदलने पड़ रहे हैं.
कस्टमर्स से वसूली जा सकती है लॉजिस्टिक्स कॉस्ट
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बड़े इलेक्ट्रॉनिक सामान की कीमत में लगभग 2 से 3 फीसदी लॉजिस्टिक्स कॉस्ट होती है. आशंका जताई जा रही है कि अगर यही हालात बने रहे तो यह कॉस्ट कस्टमर्स से वसूला जाना तय है. इसके अलावा एक जहाज को अपने गंतव्य तक पहुंचने में लगने वाला समय भी 35 से 40 फीसदी तक बढ़ गया है. लाल सागर संकट के चलते 20 और 40 फीट कंटेनर की कीमतें पूरी दुनिया में बढ़ गई हैं. कंपनियां अपना सामान एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए 20 फीट के कंटेनर को ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
मोबाइल फोन की कीमतों पर नहीं पड़ेगा कोई असर
विशेषज्ञों ने कहा है कि स्वेज नहर के रास्ते व्यापार शुरू होने के बाद ही स्थिति में सुधार आने की उम्मीद है. फिलहाल कंटेनर्स के रेट 2400 से 2900 डॉलर तक पहुंच गए हैं. लाल सागर संकट से पहले यह 850 से 1000 डॉलर पर थे. हालांकि, इस स्थिति का मोबाइल फोन की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इसके पार्ट्स हल्के और नाजुक होने के चलते फ्लाइट के जरिए जाते हैं.