महाशिवरात्रि की रात को ग्रहों की स्थिति ,मानव शरीर में ऊर्जा को शक्तिशाली ढंग से ऊपर की ओर ले जाती
महाशिवरात्रि पर एक मुखी रुद्राक्ष लाकर विधि विधान से पूजा करें,
महाशिवरात्रि की रात को ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है कि ये मानव शरीर में ऊर्जा को शक्तिशाली ढंग से ऊपर की ओर ले जाती है. इस रात रीढ़ को सीधा रखकर जागृत और सजग रहना हमारी शारीरिक और आध्यात्मिक खुशहाली के लिए बहुत ही लाभदायक हैरुद्राक्ष ये शिव स्वरूप है. महाशिवरात्रि पर एक मुखी रुद्राक्ष लाकर विधि विधान से पूजा करें, शिव को चढ़ाएं और अगले दिन तिजोरी में रख दें. बरकत बनी रहेगी.
महाशिवरात्रि पर अनोखा संयोग. इस दुर्लभ योग में भगवान शिव की पूजा शीघ्र फल प्रदान करने वाली मानी गई है. महाशिवरात्रि पर शुक्रवार के दिन श्रवण नक्षत्र उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र, शिवयोग, गर करण तथा मकर/कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी रहेगी.
वहीं, कुंभ राशि में सूर्य, शनि, बुध का युति संबंध रहेगा. इस प्रकार के योग तीन शताब्दी में एक या दो बार बनते हैं, जब नक्षत्र, योग और ग्रहों की स्थिति केंद्र त्रिकोण से संबंध रखती है.
पारद शिवलिंग – महाशिवरात्रि पर पारद शिवलिंग की घर में स्थापना करने से रोग, दोष से मुक्ति मिलती है. मां लक्ष्मी सदा मेहरबान रहती है.महाशिवरात्रि पर
मिथुन राशि वालों के लिए सौगात लाई है. व्यापारी वर्ग के तरक्की के रास्ते खुलेंगे. निवेश का अच्छा मौका है. धन में वृद्धि होगी
कुंभ राशि वालों को महाशिवरात्रि से अगले एक महीने तक आर्थिक रूप से लाभ मिलेगा. वेतन में बढ़ोत्तरी के योग हैं. करियर में आ रही बाधा दूर होगी.
वृश्चिक राशि के जातक के लिए महाशिवरात्रि बहुत लकी साबित होगी. पैतृक संपत्ति से जल्द धन लाभ होगा. पुराने निवेश से भी पैसों में फायदा होगा.काले तिल को शनि का प्रतीक माना गया है. शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन प्रदोष काल में शिवलिंग पर एक मुठ्ठी काले तिल चढ़ा दें. मान्यता है इससे रोगों का नाश होता है. शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है.
महाशिवरात्रि 2024 पहर पूजा का समय (Mahashivratri 2024)
महाशिवरात्रि की पूजा पहर में की जाएगी, नोट करें चारों पहर की पूजा का समय-
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – 18:25 से 21:28
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – 21:28 से 00:31, मार्च 09
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – 00:31 से 03:34, मार्च 09
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – 03:34 से 06:37, मार्च 09
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।
इस मंत्र का अर्थ है-कपूर के समान सफ़ेद, करुणावतारं: करुणा के अवतार
संसारसारं: समस्त सृष्टि के सार,
भुजगेंद्रहारम्: जो सांपों को हार के रूप में धारण करते हैं
सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि- इसका अर्थ है कि जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है.