उत्तरप्रदेश

अमेठी लोकसभा सीट पर इस बार फिर से कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की लड़ाई होने की संभावना

बीते 47 सालों में सात बार ऐसे नेता चुनावी मैदान में उतरे जिनका ताल्लुक गांधी परिवार से रहा

अमेठी लोकसभा सीट पर इस बार फिर से कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की लड़ाई होने की संभावना है. यह सीट कांग्रेस का पुराना गढ़ रही है और इस सीट पर हमेशा से गांधी परिवार का दबदबा रहा है. अगर अमेठी में गांधी परिवार से जुड़े कई रोचक किस्से हैं. यहां 1977 के बाद बीते 47 सालों में सात बार ऐसे नेता चुनावी मैदान में उतरे जिनका ताल्लुक गांधी परिवार से रहा है. पहली बार इस सीट पर 1977 में कांग्रेस के टिकट पर संजय गांधी ने चुनाव लड़ा था. यानी अमेठी में गांधी परिवार के चुनाव राजनीति की शुरूआत 1977 में हुई थी. हालांकि उन्हें इस चुनाव में भारतीय लोकदल के रवींद्र प्रताप सिंह ने हरा दिया था. इस चुनाव में उन्होंने करीब 76 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीता था.संजय गांधी का पहला चुनाव इसके बाद 1980 के चुनाव में फिर से संजय गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ा था. तब उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी और जनता पार्टी के उम्मीदवार रवींद्र प्रताप सिंह को हराकर चुनाव जीता था. संजय गांधी ने इस चुनाव में करीब एक लाख 28 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीता था. लेकिन संजय गांधी का निधन होने के बाद 1981 के उपचुनाव में उनके भाई संजय गांधी चुनाव लड़े थे. तब संजय गांधी ने अपने पहले चुनाव में जीत दर्ज की. संजय गांधी अमेठी से लगातार चार चुनाव लड़े और चारों ही चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की थी.

परिवार के खिलाफ मेनका गांधी हालांकि 1984 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई थी. तब राजीव गांधी के खिलाफ उनकी भाभी और भाई संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी चुनावी मैदान में थीं. हालांका इस चुनाव में मेनका गांधी को हार झेलनी पड़ी और संजय गांधी ने करीब 3.1 लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीता था.1989 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार का एक और नया चेहरा अमेठी में दिखाई दिया. इस चुनाव में महात्मा गांधी के पौत्र राज मोहन गांधी चुनाव लड़ रहे थे. वह जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में थे. लेकिन राज मोहन गांधी चुनाव हार गए और संजय गांधी ने फिर करीब दो लाख के अंतर से चुनाव जीता था.सोनिया गांधी ने संभाली जिम्मेदारीराजीव गांधी ने इस सीट पर लगातार चौथा चुनाव 1991 में जीता था. तब उन्होंने अपने पुराने प्रतिद्वंदी रवींद्र प्रताप सिंह को हराया था. इस चुनाव में राजीव गांधी ने करीब 1.1 लाख वोट के अंतर से जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1999 में अमेठी से राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी चुनाव लड़ीं और करीब तीन लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी.सोनिया गांधी ने 2004 के लोकसभा चुनाव में अमेठी की विरासत की जिम्मेदारी अपने बेटे राहुल गांधी को सौंप दी. इसके बाद राहुल गांधी ने अमेठी से लगातार तीन चुनाव 2004, 2009 और 2014 में जीत दर्ज की थी. हालांकि उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने हरा दिया था. इस दौरान 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से गोपाल स्वरूप गांधी चुनाव लड़े. हालांकि दोनों ही चुनावों में उनकी जमानत जब्त हो गई थी. 2014 के चुनाव में उन्हें 5,467 वोट और 2019 के चुनाव में उन्हें 1,574 वोट मिले थे.

JNS News 24

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