आईआईटी और एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेजों के पाठ्यक्रम, पढ़ाने के तरीके, परीक्षा, प्रशिक्षण में बदलाव किया जाएगा
बीटेक छात्रों को आसानी से मिलेगा रोजगार
दुनियाभर में इंजीनियरिंग क्षेत्र में आ रहे बदलावों, पर्यावरण परिवर्तन और बढ़ते तापमान को ध्यान में रखते हुए भारत भी अपने छात्रों को तैयार करेगा। इसके लिए राष्ट्रीय प्रमाणन बोर्ड (एनबीए) वाशिंगटन करार के तहत ग्रेजुएट एट्रीब्यूट्स एंड प्रोफशनल कंपीटेंसी (जीएपीसी-4) का चौथा सुधार करने जा रहा है। इसके तहत बीटेक करने के बाद कितने छात्रों को रोजगार मिला, इंडस्ट्री उनके क्षमताओं से खुश है या नहीं जैसे पहलुओं का मूल्यांकन होगा। इंडस्ट्री से मिली प्रतिक्रिया पर सभी आईआईटी और एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेजों के पाठ्यक्रम, पढ़ाने के तरीके, परीक्षा, प्रशिक्षण में बदलाव किया जाएगा। राष्ट्रीय प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि चौथे चरणों के सुधारों के तहत इंजीनियरिंग क्षेत्र के 12 गुणवत्ता मानक हैं। इनमें इंजीनियरिंग फाउंडेशन, आईटी प्रिंसिपल, प्रॉब्लम एनालिसिस, यूज ऑफ इंजीनियरिंग टूल्स जैसे आईटी सॉफ्टवेयर व चिप डिजाइन, वेल्यू एजूकेशन, सस्टेनेबिलिटी और इंजीनियर इन सोसाइटी (यानी इंजीनियर समाज की बेहतरी के लिए किस प्रकार तकनीक से मदद करें) विषय शामिल हैं। हम इन्हीं पर जोर दे रहे हैं।
वाशिंगटन करार में भारत समेत 23 देश
वाशिंगटन करार के तहत भारत को परमानेंट सिग्नेटरी स्टेटस का दर्जा प्राप्त है। इसमें भारत समेत 23 सदस्य देश हैं। इन देशों के बीच स्नातक इंजीनियरिंग शिक्षा की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य है। समझौता के तहत ये देश भारत के एनबीए एक्रीडिटेशन कोर्स को भी सामान स्तर पर मान्यता देते हैं। इसके कारण एनबीए एक्रीडिटेशन इंजीनियरिंग कोर्स वाले पासआउट छात्रों को वहां नौकरी और उच्च शिक्षा में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आती है।
प्रमुख बदलाव और असर
बीटेक करने के बाद कितने फीसदी छात्रों को कहां रोजगार मिला, इंडस्ट्री उनके काम से खुश है या नहीं, इंडस्ट्री को उनके तकनीकी ज्ञान से फायदा हो रहा या नहीं, इंडस्ट्री समय के अनुसार क्या बदलाव चाहती है, का मूल्यांकन किया जाएगा। इसके लिए कॉलेजों से पूर्व छात्रों की जानकारी जुटाकर, कार्यस्थली वाली इंडस्ट्री में जाकर फीडबैक लिया जाएगा।
मान्यता का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानक बढ़ेगा।
तकनीकी कॉलेज पाठ्यक्रम में नई तकनीक, परीक्षा पद्धति में बदलाव कर रहे हैं या नहीं की जानकारी मिलेगी।
- इंडस्ट्री की मांग के अनुसार बदलाव पर फोकस किया या नहीं, इंडस्ट्री उनको प्रतिक्रिया दे रही है या नहीं का मूल्यांकन होगा।
- पर्यावरण, सस्टेनेबिलिटी, इकोलॉजी में आ रहे बदलावों पर छात्रों को जागरूक किया जाएगा।
आईआईटी के पास भी एनबीए की मान्यता नहीं
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में शुमार 23 आईआईटी के कोर्स को भी अभी एनबीए की मान्यता प्राप्त नहीं है। इसलिए वाशिंगटन एकॉर्ड के सदस्य देश अक्सर आईआईटी स्नातकों की नौकरी पर सवाल उठा देते हैं।
अभी सिर्फ 15 फीसदी के पास मान्यता
अभी एआईसीटीई के सिर्फ 15 फीसदी इंजीनियरिंग कॉलेजों के कोर्स एनबीए से मान्यता प्राप्त हैं, जबकि सरकार का लक्ष्य इसे 100 फीसदी हासिल करना है। इस साल एआईसीटीई ने कॉलेजों को थोड़ी राहत दी है, लेकिन आने वाले समय में जिनके कोर्स एनबीए से मान्यता प्राप्त नहीं होंगे, उन्हें बंद कर दिया जाएगा।