लोकसभा चुनाव में इस बार मैनपुरी सीट से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी डिंपल यादव के सामने दोहरी चुनौती
डिंपल यादव के सामने परिवार को विरासत को आगे चुनौती होगी तो वहीं अब उनके साथ साहनुभूति की लहर भी हल्की हो चली
लोकसभा चुनाव में इस बार मैनपुरी सीट से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी डिंपल यादव के सामने दोहरी चुनौती होने जा रही है. सपा संस्थापक मुलायम सिंह के निधन के बाद पहली बार इस सीट पर आम चुनाव हो रहा है, ऐसे में डिंपल यादव के सामने परिवार को विरासत को आगे चुनौती होगी तो वहीं अब उनके साथ साहनुभूति की लहर भी हल्की हो चली है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर से मैनपुरी सीट से अपनी पत्नी डिंपल यादव को ही मैदान में उतारा है. डिंपल मौजूदा समय में भी यहां सांसद हैं. लंबे समय से इस सीट पर सपा का ही कब्जा रहा है. लेकिन, इस बार ये चुनाव इतना आसान होने वाला नहीं है.मुलायम सिंह यादव निधन के बाद 2022 में हुए उपचुनाव में डिंपल यादव ने यहां से चुनाव लड़ा था. इस उपचुनाव में सपा के पक्ष में जबरदस्त सहानुभूति की लहर चली और उन्होंने बीजेपी के रघुराज सिंह शाक्य को 2,88,461 वोटों से हरा दिया. डिंपल यादव को 6,18,120 वोट मिले जबकि शाक्य को 3,29,659 वोट मिले. इस चुनाव में कांग्रेस और बसपा ने दूरी बनाए रखी थी
डिंपल यादव के सामने बड़ी चुनौती
डिंपल यादव की मुश्किल ये है कि नेताजी के जाने के बाद पहली बार इस सीट पर आम चुनाव हो रहा है. उपचुनाव में उन्हें जो सहानुभूति मिली थी अब वो खत्म हो चुकी है. वही बीजेपी भी इस सीट पर सबसे मजबूत उतारने के लिए मंथन कर रही है. यूपी में इस बार सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन है. उपचुनाव में बसपा ने भी अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था, लेकिन इस बार मायावती ने यहा भी अपना प्रत्याशी उतारने का एलान किया है. ऐसे में इस बार की लड़ाई सीधी न होकर त्रिकोणीय हो जाएगी. बसपा के आने से सीधे सपा को ही नुकसान होगा.
सपा का किला भेद पाएगी बीजेपी?
आपको बता दे कि इस सीट पर 1989 से समाजवादी पार्टी का ही क़ब्ज़ा रहा है. मैनपुरी सीट से मुलायम सिंह यादव ने जिसे भी लड़ाया वो हमेशा चुनाव जीता है. मुलायम सिंह यादव ने इस सीट पर पहली बार 1996 में चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी, वो इसे अपनी कर्मभूमि मानते थे और यहां हर जाति व समुदाय के लोगों ने उन्हें वोट दिया. भाजपा ने मैनपुरी सीट पर सपा को हराने की पूरी कोशिश कर ली, लेकिन आज तक कामयाब नहीं हो पाई है. लेकिन, इस बार पार्टी ने प्रदेश की सभी 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है. ऐसे में बीजेपी की भी मजबूत रणनीति के साथ उतरेगी और बीजेपी इसमें कितनी माहिर है ये किसी से छुपा नहीं है.