निपुण भारत मिशन के अंतर्गत संकुल शिक्षकों की क्षमता संवर्धन के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू
जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह ने ज्ञानदायिनी माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया शुभारंभ
सभी शिक्षक निपुण भारत मिशन के लिए जुट कर कार्य करें
अलीगढ़- शिक्षक का पद सदैव से ही सम्मानित रहा है। वह व्यक्ति जो संग्रहण किया गया ज्ञान दूसरों तक पहुंचाता है, गुरु कहलाता है। यहां बहुत से शिक्षक ऐसे होंगे जो अध्ययन काल में कुछ और बनना चाहते होंगे, परंतु नियति उन्हें यहां तक ले आई और जब वह यहां आ ही गए हैं तो जो भी दायित्व एवं जिम्मेदारियां दी जाती हैं, पूर्ण निष्ठा, ईमानदारी, मेहनत और लगन से निभाएं ताकि बच्चे अपनी अभिरुचि के अनुरूप मंजिल को पा सकें। सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा के सुधार के लिए व्यापक ढंग से प्रयास किया जा रहे हैं, इसके परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।
उक्त उद्गार जिला अधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह ने ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के तत्वावधान में निपुण भारत मिशन के अंतर्गत संकुल शिक्षकों की क्षमता संवर्धन के लिए आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में व्यक्त किए। उन्होंने अपने सम्बोधन के विभिन्न संस्मरणों में पत्नी और प्रेयशी को जोड़ते हुए तमाम प्रकार के उदाहरण भी प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि कायाकल्प योजना से शासकीय विद्यालयों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। सरकार के प्रयासों से शिक्षा क्षेत्र में रोज नए-नए अवसर मिल रहे हैं, शिक्षक उनका फायदा उठाएं और दूसरों को भी लाभान्वित करें। आपको जो कार्य मिला है उसमें अद्भुत संभावनाएं हैं। हर बच्चे की अभिरुचियां अलग-अलग होती हैं। बच्चों की अभिरुचि को पहचान कर उनको तराशें। डीएम ने शिक्षकों एवं बच्चों के वास्तविक स्वरूप को याद दिलाते हुए कहा कि वह क्या कुछ नहीं कर सकते। दिमाग कल्पवृक्ष की भांति होता है। जब आप उसके नीचे बैठे हैं तो आप जो भी सोचेंगे, चाहेंगे वह मिल सकता है। उन्होंने पद के प्रति कम समर्पण भाव रखने वाले शिक्षकों पर तंज करते हुए कहा कि आप में पद से योग्यता से कहीं ज्यादा है। परंतु समर्पण उतना ही कम। ऐसा नहीं होना चाहिए। अपने आयाम को बड़ा करें। शिक्षक समाज ही नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माता होता है। मन में कभी नकारात्मकता नहीं आनी चाहिए। नकारात्मकता आपके दिल व दिमाग बल्कि संपूर्ण शरीर और फिर समाज को बीमार बना देती है। जब आप सकारात्मक के साथ जिम्मेदारी को स्वीकार करेंगे तो बिना किसी साइड इफेक्ट के बेहतर और नए-नए रास्ते निकलेंगे।
उन्होंने महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद के विभिन्न संस्मरणों को याद करते हुए कहा कि निपुण लक्ष्य के लिए सभी शिक्षक मनोयोग से जुटें, ताकि बच्चों का भविष्य स्वर्णिम हो सके। उन्होंने कहा कि कार्यशाला की सार्थकता तभी है जब निर्धारित समय अवधि में बच्चे निपुण हो सकें। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के कई संस्मरणों अध्यापकों को याद करते हुए कहा कि प्रारंभिक शिक्षा ही बच्चे का भविष्य निर्धारित करती है। प्रारंभिक शिक्षा के दौरान बच्चा कच्चे घड़े की तरह होता है, आवश्यकता उसकी अभिरुचि को पहचानते हुए उसके अनुरूप ढालना है। अंत में उन्होंने कहा कि व्यक्ति हो या समाज, सुधार की अंतिम संभावना कभी समाप्त नहीं होती है। सम्बोधन से पूर्व कार्यशाला का शुभारंभ जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह ने ज्ञानदायिनी माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इस अवसर पर सहायक निदेशक बेसिक शिक्षा, प्रचार डायट, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी उपस्थित रहे।