देश की राजधानी दिल्ली में कुछ दिन पहले तक आसमान से आग बरस रही थी. लोग सूरज की तपिश से राहत के लिए बारिश होने की प्रार्थना कर रहे थे.
दिल्ली पानी-पानी हो गया. आसमानी कहर के रूप से बरसी बारिश दिल्ली के कुछ लोगों के लिए आफत भी लेकर आई.
देश की राजधानी दिल्ली में कुछ दिन पहले तक आसमान से आग बरस रही थी. लोग सूरज की तपिश से राहत के लिए बारिश होने की प्रार्थना कर रहे थे. आखिराकर, बारिश हुई और लोगों को तपती गर्मी से राहत भी मिली. इस बार पड़ी भीषण गर्मी की तरह बारिश भी जमकर हुई. बारिश इतनी हुई कि दिल्ली पानी-पानी हो गया. आसमानी कहर के रूप से बरसी बारिश दिल्ली के कुछ लोगों के लिए आफत भी लेकर आई. जिससे न केवल लोग परेशान हुए बल्कि इस रिकॉर्ड तोड़ बारिश तीन लोगों को लील लिया.
गहरे बेसमेंट में गिरे तीन लोग इस बारिश में जहां देश के मशहूर और प्रतिष्ठित आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल का छत गिर गया, वहीं कहीं मेट्रो स्टेशन की दीवार में दरारें आ गई. कहीं सड़क धंस गई, तो वहीं वसंत विहार के वसंत गांव में मिट्टी धंसने से तीन लोगों की जान चली गई. हादसा गुरुवार की देर रात की है. दरअसल, वसंत गांव में एक निर्माणाधीन मकान के पास झुग्गी में रह रहे कुछ लोग बारिश से बचने के लिए टिन का शेड लगा रहे थे, लेकिन तभी मिट्टी धंसने की वजह से वहां एक पुराना विशालकाय पेड़ उन पर गिर पड़ा और वे सभी निर्माणधीन बिल्डिंग के गहरे बेसमेंट में जा गिरे और उन सभी की मौत हो गई. मृतकों की पहचान दयाराम (45), संतोष (19) और संतोष (20) के रूप में हुई. सभी को एनडीआरएफ की टीम ने काफी मशक्कत के बाद गहरे बेसमेंट से बाहर निकाला.
जिंदगी भर इस घटना को भूल नहीं पाएगी सुनीता दयाराम की पत्नी सुनीता इस हादसे की चश्मदीद गवाह है, जो इस हादसे में बच गई, लेकिन अपने पति को नहीं बचा पाई. अचानक मिट्टी गिरने से जब झुग्गी समेत वह, उसका पति और अन्य दो लोग पानी भरे गहरे बेसमेंट में गिरने लगे तो उसने एक हाथ से बेसमेंट की दीवार को थाम लिया और दूसरे हाथ से अपने पति दयाराम को पकड़ा, लेकिन वह उसे वापस खींच नहीं पाई. उसकी आंखों के सामने उसके हाथ से हमेशा के लिए पति का साथ छूट गया. ये गम शायद उसे हमेशा की सालता रहेगा कि जिसने उसका हाथ थाम कर उसे अपनी जीवन संगिनी बनाया था, वह उसके हाथ से छूट कर मौत की आगोश में चला गया. अब सुनीता को समझ मे नहीं आ रहा है कि वह अपना और अपने दो बेटों के पेट कैसे भरे और कैसे घर चलाए. इस मुसीबत की घड़ी में अब उसे सरकार से मदद की आस है.
भाई-बहनों के साथ थी पूरे घर की जिम्मेदारीइस हादसे में एक और संतोष (20) की मौत हो गई. कम उम्र में परिवार को संभालने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा कर संतोष दो साल पहले दिल्ली कमाने आया था. उसके रिश्तेदार अमित ने बताया कि भाई-बहनों की पढ़ाई के साथ मां-बाप की जिम्मेदारी भी उठा रखी थी. वह 15 दिन पहले ही वसंत गांव में आकर यहां काम करने लगा था. अमित का कहना है कि संतोष की मौत से उसके परिजनों को असहनीय पीड़ा के साथ गंभीर आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है. उनकी मांग है कि सरकार उनकी आर्थिक सहायता करे. ताकि उनका गम थोड़ा कम हो सके.