दुबई होटल में टूरिस्ट को नहीं मिला ब्रेकफास्ट
कंज्यूरम कोर्ट ने लिया एक्शन, अब 'मेक माय ट्रिप' को देना होगा मुआवजा
मध्य प्रदेश के जबलपुर जिला उपभोक्ता फोरम (Jabalpur Consumer Forum) ने टूरिस्ट को दुबई के होटल में ब्रेकफास्ट न मिलने पर जानी-मानी ट्रैवेल कंपनी ‘मेक माय ट्रिप’ को साढ़े 12 हजार मुआवजा देने का आदेश दिया है. फोरम के चेयरमैन पंकज यादव और सदस्य अमित सिंह तिवारी की बेंच ने मेक माय ट्रिप इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को आदेश दिया कि ब्रेकफास्ट मुहैया नहीं कराए जाने के एवज में 13 हजार क्षतिपूर्ति दी जाए. साथ ही मानसिक पीड़ा के लिए 10 हजार और मुकदमे का खर्च तीन हजार भी देने के आदेश ट्रैवेल कंपनी को दिए गए है.जबलपुर निवासी यश जैन, वंश कटारिया और भरत सुखेजा की ओर से जिला उपभोक्ता फोरम में मेक माय ट्रिप इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ सेवा में कमी का आरोप लगाया गया था. उनकी ओर से अधिवक्ता गौरव मिश्रा ने दलील दी कि परिवादियों ने 14 फरवरी, 2022 को दुबई यात्रा के लिए जूम ट्रेवल्स के माध्यम से मेक माय ट्रिप इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से दुबई जाने, रुकने और वापस लौटने के लिए 50 हजार 700 का पैकेज लिया था. सात दिन की ट्रिप का एडवांस भुगतान भी किया गया था. पैकेज में दुबई के होटल के मील प्लान में ब्रेकफास्ट भी शामिल था, लेकिन वहां पहुंचने पर पता चला कि होटल में नाश्ते की किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं थी. इसके बाद उन्होंने यह परिवाद दायर किया.
मिलावटी दूध बेचने वालों पर लगातार होगी कार्रवाई
वहीं इसके साथ मध्य प्रदेश में दूध में हो रही मिलावट को लेकर सरकार ने जबलपुर हाई कोर्ट में शपथ पत्र पेश किया है. सरकार की ओर से हाई कोर्ट से कहा गया है कि मध्य प्रदेश में दूध में मिलावट और बगैर लाइसेंस दूध का व्यापार करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई होती रहेगी. हाईकोर्ट ने सरकार के शपथ पत्र को रिकॉर्ड में लेते हुए याचिका का निराकरण कर दिया है. जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से हाई कोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया कि मध्य प्रदेश में दूध में जमकर मिलावट हो रही है. व्यापारी बगैर लाइसेंस के ही दूध का व्यापार कर रहे हैं. जबकि नियमों के मुताबिक खाद्य सामग्री बेचने वाले हर व्यापारी को लाइसेंस लेना जरूरी है, लेकिन प्रदेश में लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है.
सरकार ने दिया शपथ पत्र
इस मामले पर हाई कोर्ट ने प्रशासन को नोटिस जारी किया और जवाब मांगा था. सरकार ने कार्रवाई करने की बात तो हाई कोर्ट में स्वीकार की, लेकिन याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने आपत्ति उठाई कि प्रशासन की यह कार्रवाई निरंतर जारी नहीं रहती है, जिसका फायदा व्यापारी जमकर उठाते हैं. इसके बाद हाई कोर्ट में सरकार ने शपथ पत्र देकर कर कहा कि पिछले पांच सालों में मध्य प्रदेश में 2000 से ज्यादा दुग्ध व्यापारियों पर कार्रवाई की गई है. कई व्यापारियों को सजा भी दिलाई गई है. सरकार ने कहा कि बगैर लाइसेंस दूध का व्यापार करने वालों के खिलाफ प्रदेश में कार्रवाई लगातार जारी रहेगी. सरकार के इस जवाब के बाद हाई कोर्ट ने याचिका का निराकरण कर दिया है.