अलीगढ़

आरक्षण में वर्गीकरण का हम करते है स्वागत

भारत बंद करने वालों का करते है बहिष्कार

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का महर्षि वाल्मीकि सेना करती है स्वागत,रामायण रचियता महर्षि वाल्मीकि की पूजा आरती के पश्चात जिलाधिकारी कार्यालय तक हाथो में गुलाब पुष्प लेकर किया पैदल मार्च , करपुरी ठाकुर पार्क पर रोककर लिया ज्ञापन,,
आज महामहिम राष्ट्रपति के नाम जिलाधिकारी को दिया ज्ञापन, ज्ञापन ACM 1 ने लिया, भारत बंद करने वालों का हम करते है बहिष्कार, महर्षि वाल्मीकि सेना के प्रदेश अध्यक्ष राहुल चेतन ने कहा की संविधान में SC/ST आरक्षण के प्रावधान कों लगभग 75 वर्ष हो चुके हैं इसके बावजूद वंचित शोषित उपेक्षित कई जातियां आज भी आरक्षण के लाभ से दूर हैं वो शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से कमजोर भी हैं,वहीं आरक्षण का लाभ एक जाति विशेष लगातार उठा कर शैक्षिक आर्थिक और राजनीतिक रूप से मजबूत हुई है।


जो सक्षम हैं वो और अधिक सक्षम होते जा रहे हैं जिन्हें इसके लाभ से वंचित रखा गया, वो और अधिक कमजोर होते गये।
जो खाईं पहले दलित और सामान्य वर्ग के बीच दिखाई देती थी वह खाई अब दलित और अति दलितों के बीच दिखाई देती है, आरक्षण का प्रावधान इस लिए था जो जाति वर्ग विकास क्रम में औरों से पीछे है वह अधिकार और सुरक्षा उन्हें भी हासिल हों, महर्षि वाल्मीकि सेना के महानगर अध्यक्ष शिवम धुरी ने कहा
यदि आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाने वाली जातियों का गहनता से अध्ययन किया जाऐ तो आज भी SC वर्ग की कई जातियां असमानता, असुरक्षा, पिछड़ेपन, अत्याचार, अशिक्षा और ग़रीबी से पीड़ित ज्यों की त्यों खड़ी नजर आएंगी।और जिस जाति ने SC वर्ग में आरक्षण प्राप्त कर अपनी शैक्षिक आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक स्थिति को सुधार लिया है उसने अपनी साम ,दाम, दण्ड,भेद नीति को और आगे बढ़ने के लिए अपनाया।
इस लिए समाज में असमानता को समाप्त करने के लिए आरक्षण में वर्गीकरण का सुझाव स्वागत योग्य है। मगर कुछ असमानता पसंद जाति के लोग जो पिछले 40 वर्षों से 6447 जातियों को एक करने की बात करते थे इस फैसले से उसकी कलई खुल गई। समय-समय पर अपने फंडे हथकंडे अपनाने वाले
आज ये कह रहे हैं, कि वर्गीकरण से समाज बंटेगा, शायद वो भुल गए कि यही बात गांधी और कांग्रेस के लोगों ने पूना पेक्ट के समय डां अम्बेड़कर से कही थी।
उनका यह भी कहना है कि आरक्षण लेने से किसने रोका।

प्रदेश अध्यक्ष राहुल चेतन ने विस्तृत जानकारी दे बताया, को इस बात को समझने के लिए कुछ आंकड़ो पर नज़र डालनी होगी।
1992 की जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग की रिपोर्ट।
[6:36 PM, 8/21/2024] +91 90453 70660: सन1992 में जब आरक्षण पृथक नहीं था

विधायक

चमार- 15

वाल्मीकि मजहबी -2

1994 में जब आरक्षण पृथक किया गया तब।

विधायक
चमार – 11
वाल्मीकि मजहबी -6
अंतर स्पष्ट है
…………………………………

1992 में जब आरक्षण पृथक नहीं था तब

प्रथम श्रेणी अधिकारी
चमार, 126
वाल्मीकि -26

1994 में जब आरक्षण पृथक तब।

प्रथम श्रेणी अधिकारी
चमार36
वाल्मीकि -37
अंतर स्पष्ट है
……………………………..

1992 जब आरक्षण पृथक नहीं था तब

द्वितीय श्रेणी अधिकारी जाटव- 368
वाल्मीकि -31

1994 में जब आरक्षण पृथक तब

द्वितीय श्रेणी अधिकारी
चमार, 385
वाल्मीकि -385
अंतर स्पष्ट है
………………………….

1992 में जब आरक्षण पृथक नहीं था तब

तृतीय श्रेणी अधिकारी
जाटव- 166608
वाल्मीकि मजहबी -1846

1994 में जब आरक्षण पृथक हुआ तब

तृतीय श्रेणी अधिकारी
चमार -5776
वाल्मीकि -6018
……………………………

मात्र दो वर्षों के पृथक आरक्षण से यह अंतर केसै आ गया इसका साफ़ मतलब है कि कोई हमारी काबिलियत को नजरंदाज कर रोक रहा है यही खेल हमें आरक्षण लेने से रोक रहा है।

उनका यह सवाल की वाल्मीकि
समाज के लोग पढ़ते नहीं है
तो वो ही बता दे कि ये आंकड़े क्या साबित कर रहे हैं कमजोर हमारी शिक्षा नहीं है, तुम्हारी नियत खराब है।
उनका यह भी कहना है कि
कॉम्पटीशन करो आरक्षण ले लो

आरक्षण का आधार कॉम्पटीशन नही बल्कि प्रतिनिधित्व है यदि किसी जाति का शिक्षा नौकरी और राजनीतिक में प्रतिनिधित्व नहीं है तो उसे आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।
उन्होंने यह भ्रम पाल रखा है कि संघर्ष सिर्फ वो ही करते हैं यह सफेद झूठ है हर आन्दोलन में दलितों की सभी जातियों की भागेदारी होती है वाल्मीकि समाज भी भारी संख्या में हिस्से दार रहा है। मगर इन्हें सब को मूर्ख बना कर सारा श्रेय खुद लेने की बिमारी है।
उनका तर्क है
वर्गीकरण के बाद उपयुक्त केंडीडेट नहीं कह कर विकैंसी सामान्य वर्ग को दे दी जाएंगी

विकैंसी सामान्य को मिले या तूम हड़प लो इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। और सामान्य को दे भी दी तो हमारा हिस्सा ही तो जाएगा,तुम्हारे पेट में मरोड़ क्यों? यहीं पर दाल में काला नज़र आता है।
जब अभी तक उच्चस्तरीय पदों की आरक्षित सीटें खाली पड़ी है।
तो आपकी योग्यता कहां घांस चरने गई हुई है। शायद कहोगे कि मनुवादी सरकार जानबूझकर सीटें नहीं भर रहीं,वह पक्षपात कर रही है, आप भी हमारे साथ यही कर रहे थे अब तक।

वो यह भी कह रहे हैं कि आरक्षण तो लगभग खत्म ही कर दिया गया है।
तो फिर वर्गीकरण से तकलीफ़ क्यों?
इस निर्णय से एक बात पानी की तरह साफ हो गई है कि अम्बेडकर और बुद्ध जो समता मैत्री और भाईचारे के प्रतीकों को एक जाति विशेष ने अपने नीजि हितों के लिए प्रोडेक्ट बना कर बेचा है इनका अम्बेडकर वाद, बुद्ध वाद झूठा है दलितों की 6447 जातियों को एक करने की मुहिम ठगगी करनें का धंधा है।
हमें समझ आ गया कि हम इनसे अलग है, हमारी लड़ाई मनुवादी और छदम दलित दोंनों से है। यह लड़ाई हमें खुद लड़नी होगी। भविष्य में हमें इन छदम अम्बेडकरवादी दलितों के किसी भी धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम
में हिस्से दारी नहीं करनी चाहिए।
आज महर्षि वाल्मीकि सेना ने महामहिम राष्ट्रपति से ज्ञापन माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते है, तथा उत्तर प्रदेश सरकार को यह आदेशित किया जाए की वर्गीकरण आरक्षण व्यवस्था को जल्द से जल्द लागू किया जाए, ज्ञापन कार्यक्रम में महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष मंजू वाल्मीकि, शकुंतला देवी,राजेश पथिक वाल्मीकि,विजेंद्र सोटा,प्रहलाद वाल्मीकि,केशव चौधरी,देवानद वाल्मीकि,विशाल वाल्मीकि,मोनू चेतन,विकास चौटेल, डॉ संजय चौहान,रूपेश उम्मेद,सुमित धुरी,राम वाल्मीकि,प्रशांत,गौरव बेंजी, डॉ ज्ञानेंद्र दीवान,रवि वाल्मीकि,तीर्थराज चंचल,राजेंद्र चौहान,विनोद कुक्कू, राजवीर वाल्मीकि,सोनू राज,आशीष नीरज,निशांत चौहान, जॉनी वाल्मीकि,मोनू मलिक, चंद्रप्रकाश, राहुल वाल्मीकि, आदि लोग उपस्थित रहे।

JNS News 24

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