व्यापार
सरकारी बॉन्ड में रिटेल इन्वेस्टर क्यों नहीं दिखा रहे दिलचस्पी?
आईपीओ बाजार में आजकल बहार आई हुई है। रिटेल इन्वेस्टर्स इन्हें हाथोंहाथ ले रहे हैं लेकिन वे सरकारी बॉन्ड्स में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। भारत अब दुनिया में सबसे शानदार प्रदर्शन करने वाला स्टॉक मार्केट बन गया है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका रिटेल इन्वेस्टरों की है। रिटेल प्लेयर्स बड़ी संख्या में शेयर मार्केट का रुख कर रही हैं, लेकिन जब सरकारी बॉन्ड खरीदने की बात आती है तो वे ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं। सवाल ये है कि रिस्क बहुत ही कम होने के बावजूद सरकारी बॉन्ड को लेकर रिटेल इन्वेस्टरों की दूरी की क्या वजह है?पीएम नरेंद्र मोदी ने दो साल पहले RBI की रिटेल डायरेक्ट स्कीम लॉन्च की थी। यह रिटेल प्लेयर्स द्वारा सरकारी सिक्युरिटीज में इन्वेस्टमेंट को प्रोत्साहित करने के लिए वन-स्टॉप प्लैटफॉर्म है। 11 दिसंबर, 2023 तक आंकड़ों से पता चला है कि इस प्लैटफॉर्म पर खोले गए खातों की कुल संख्या 1,06,421 थी। प्राइमरी मार्केट में कुल 3,337.51 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। आंकड़े 12 नवंबर, 2021 को इन्वेस्टमेंट प्लैटफॉर्म की शुरुआत से पहले के हैं।
क्या है दूरी की वजह?
-जब रिटेल इन्वेस्टर सरकारी सिक्युरिटीज को देखते हैं, तो वे रिटर्न की तुलना फिक्स्ड डिपॉजिट रिटर्न से करते हैं। Edelweiss AMC के सीनियर ईवीपी धवल दलाल का कहना है कि फिक्स्ड डिपॉजिट पर विभिन्न बैंक बहुत आकर्षक दरों की पेशकश कर रहे हैं, जो 7.25% से लेकर 7.75% यहां तक कि 7.85% तक हैं। तिमाही आधार पर कंपाउंड होने पर रिटर्न 8 पर्सेंट से ऊपर जा सकता है।SBI आम जनता के लिए 2 करोड़ रुपये से कम की दो साल से तीन साल की फिक्स्ड डिपॉजिट पर 7.19% का रिटर्न दे रहा है। सीनियर सिटीजन के लिए दो साल से तीन साल से कम और पांच साल से 10 साल से कम जमा के लिए 7.71% सालाना रिटर्न की पेशकश कर रहा है।
दलाल का कहना है कि बेहतर रिटर्न की वजह से क्लाइंट्स हमेशा इक्विटी की तरफ आकर्षित होते हैं। पिछले तीन वर्षों में, बॉन्ड मार्केट ने बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि 2021, 2022 और 2023 में यदि आप तीन साल के रिटर्न को देखते हैं, तो यह 5% से नीचे है।सरकारी बॉन्ड को सबसे बड़ी चुनौती अन्य सरकारी प्रॉडक्ट से ही मिलती है। जैसे सरकार की स्मॉल सेविंग स्कीम्स। कई स्मॉल सेविंग प्रॉडक्ट सरकारी बॉन्ड की तुलना में अधिक रिटर्न देते हैं, साथ ही टैक्स में छूट भी मिलती है।
दलाल का कहना है कि बेहतर रिटर्न की वजह से क्लाइंट्स हमेशा इक्विटी की तरफ आकर्षित होते हैं। पिछले तीन वर्षों में, बॉन्ड मार्केट ने बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि 2021, 2022 और 2023 में यदि आप तीन साल के रिटर्न को देखते हैं, तो यह 5% से नीचे है।सरकारी बॉन्ड को सबसे बड़ी चुनौती अन्य सरकारी प्रॉडक्ट से ही मिलती है। जैसे सरकार की स्मॉल सेविंग स्कीम्स। कई स्मॉल सेविंग प्रॉडक्ट सरकारी बॉन्ड की तुलना में अधिक रिटर्न देते हैं, साथ ही टैक्स में छूट भी मिलती है।
क्या है विकल्प
एयू बैंक के ट्रेजरी के सीनियर उपाध्यक्ष देबेंद्र कुमार दास का कहना है कि निवेशकों में बॉन्ड मार्केट की समझ बहुत सीमित है। यही एक मुख्य कारण है कि लोग रिटेल डायरेक्ट स्कीम की ओर आकर्षित नहीं हो रहे हैं। लोग अभी भी सोचते हैं कि एक बार इन्वेस्ट करने के बाद, वे इसे बेच नहीं सकते। उन्होंने कहा कि इसके लिए अधिक जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता है।