चातुर्मास निष्ठापन समापन के साथ पिच्छीका परिवर्तन में उमड़ा जैन समाज, जैन मुनि ने दिया श्रद्धालुओं को आशीर्वाद जैन समाज के लोगों के लिए शनिवार का दिन आस्था, श्रद्धा और भक्ति से सराबोर रहा
त श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन ट्रस्ट परिसर मे मुनि श्री 108 स्वयंभू सागर महाराज एवं मुनि श्री 108 अनुकरण सागर महाराज के चातुर्मास का विधि विधान से निष्ठापन ,समापन हुआ
चातुर्मास निष्ठापन समापन के साथ पिच्छीका परिवर्तन में उमड़ा जैन समाज, जैन मुनि ने दिया श्रद्धालुओं को आशीर्वाद
जैन समाज के लोगों के लिए शनिवार का दिन आस्था, श्रद्धा और भक्ति से सराबोर रहा।खिरनी गेट स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन ट्रस्ट परिसर मे मुनि श्री 108 स्वयंभू सागर महाराज एवं मुनि श्री 108 अनुकरण सागर महाराज के चातुर्मास का विधि विधान से निष्ठापन ,समापन हुआ एवं पिच्छिका परिवर्तन समारोह का आयोजन किया गया। पिच्छिका को बडे़ आकर्षण ढंग से सजाया गया और उसको ढोल बाजों के साथ कार्यक्रम स्थल तक लाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व एमएलसी जगवीर किशोर जैन,प्रद्युम्न कुमार जैन,नरेंद्र कुमार जैन , डॉ एस.के.जैन नरेंद्र कुमार जैन,राजीव जैन,सुरेश कुमार जैन,कैलाश चन्द्र जैन,नरेश कुमार जैन,मनोज जैन ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। रिया जैन,पूर्वी जैन, शालिनी जैन ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। मुनि श्री का पाद प्रक्षालन अजय कुमार जैन हरदुआगंज परिवार एवं शास्त्र भेंट करने का डॉ.एस.के.जैन परिवार को प्राप्त हुआ।मुनि श्री स्वयंभू सागर महाराज को नवीन पिच्छिका भेंट करने का संतोष जैन परिवार,प्रद्युम्न कुमार जैन परिवार एवं मुनि श्री अनुकरण सागर महाराज को शैलेन्द्र जैन एडवोकेट,अजय कुमार जैन हरदुआगंज,अनिल जैन श्रीजी परिवार एवं मुनि श्री की पुरानी पिच्छिका डॉ एस.के.जैन,प्रद्युम्न कुमार जैन प्राप्त करने का सौभाग्य मिला।
चातुर्मास में सौभाग्यशाली परिवारो को मंगल कलश स्थापित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ उन सभी को मुनिश्री के द्वारा अपने अपने घरों के लिए आशीर्वाद प्रदान कर कलश प्रदान किए गए। राजीव उपाध्याय द्वारा धार्मिक भजन प्रस्तुत किए गए। मुनि श्री अनुकरण सागर महाराज ने 32 दिनों तक उपवास कर कठिन साधना कर तप किया जिसके महापाणना पर अलीगढ़ जैन समाज की ओर से मुनिश्री के विहार के सामान इत्यादि रखने के लिए एक गाड़ी भेंट की गयी जिसमे विशेष सहयोग जगवीर किशोर जैन, डॉ एस.के.जैन,मनोज जैन ,विनोद जैन, सिद्धार्थ जैन,रोहित जैन,प्रदीप जैन,नीरज जैन,मनीष जैन,राजेश जैन जैन धातु, डॉ विशाल जैन ,मुनेंद्र जैन का रहा।
धर्म सभा को संबोधित करते हुए अनुकरण सागर महाराज ने कहा कि साधन से नहीं साधना से ही मुक्ति मिल सकती है। संयम का प्रतीक है पिच्छी और पिच्छी साधु के संयम का उपकरण है।साधु हमेशा अपने पास पिच्छी रखते हैं। संयम में सहायक होती है। पिच्छी आचरण-संयम में परिवर्तन का बोध कराती है। जिस प्रकार पिच्छिका का परिवर्तन हो रहा है उसी प्रकार संसार भी परिवर्तनशील है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में मोक्ष मार्ग पर चलने के लिए जीवन में परिवर्तन लाना चाहिए।
क्या है पिच्छिका, क्यो मोर पंख की बनी है
जैन संतो के पास तीन उपकरण होते है संयम का उपकरण, शुद्धि का उपकरण कमंडल, ज्ञान का उपकरण शास्त्र।पिच्छी पिच्छी मोर द्वारा छोड़े गए पंखों से निर्मित है।यह इतनी मुलायम होती है कि इससे किसी जीव को हानि नहीं पहुंचती। संत की पिच्छी प्राप्त होना सौभाग्य की बात है। मोर ही अकेला एक ऐसा प्राणी है, जो ब्रह्मचर्य को धारण करता है। जब मोर प्रसन्न होता है तो वह अपने पंखो को फैला कर नाचता है और जब नाचते-नाचते मस्त हो जाता है, तो उसकी आंखों से आंसू गिरते हैं और मोरनी इन आंसू को पीती है इससे ही गर्भ धारण करती है। मोर में कहीं भी वासना का लेश भी नहीं है। जिसके जीवन में वासना नहीं, भगवान उसे अपने शीश पर धारण कर लेते हैं। कार्तिक मास में स्वयं ही मयूर अपने पंखों को छोड़ देते हैं, उन्हें ही ग्रहण कर यह पिच्छिका बनाई जाती है। दीक्षा के समय आचार्य एवं आर्यिका इस संयम के उपकरण रूप पिच्छिका को जीव दया पालन हेतु शिष्यों को देते हैं। पिच्छिका में पांच गुण होते हैं। जिसमें धूलि को ग्रहण नहीं करना, पसीने से मलिन नहीं होना, मृदुता, सुकुमारता और लघुता शामिल हैं। कार्यक्रम का संचालन ज्ञानेंद्र कुमार जैन ,अंशुल जैन ने किया।इस मौके पर मुख्य रूप से उदयवीर सिंह जैन, धर्मेद्र कुमार जैन,मयंक जैन, रविंद्र जैन, प्रशांत जैन,सुरजीत जैन ,यतीश जैन,राजीव जैन शास्त्री, कुणाल जैन ,गौरव जैन,राजेश जैन,पवन जैन,सत्यम जैन ,आरुष जैन ,लक्ष्य जैन, हरिकांत जैन सौरभ जैन पांड्या एवं जैन समाज की महिला पुरुष बच्चे भाई संख्या में उपस्थित रहे।