अलीगढ़

समाजवादी पार्टी का पीडीए पर्चा घर-घर पहुंचना शुरू

संविधान के मसीहा डॉ बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा 90% वंचित आबादी को आरक्षण के माध्यम से हक और अधिकार दिलाया गया : अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी का द्वारा की गयी पीडीए पर्चा की शुरूआत रैली निकाल धर धर पहुचाया गया पर्चा रैली की शुरूआत हो बाबासाहेब के मान पर चर्चा अब घर घर पहुॅचे पीडीए पर्चा के नारे के साथ हुई पर्चे में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव द्वारा बाबा साहव को लेकर पर्चे में बताया गया कि प्रभुत्ववादियों और उनके संगी-साथियों के लिए बाबासाहेब सदैव से एक ऐसे व्यक्तित्व रहे हैं, जिन्होंने संविधान बनाकर शोषणात्मक-नकारात्मक प्रभुत्ववादी सोच पर पाबंदी लगाई थी। इसीलिए ये प्रभुत्ववादी हमेशा से बाबासाहेब के ख़िलाफ़ रहे हैं और समय-समय पर उनके अपमान के लिए तिरस्कारपूर्ण बयान देते रहे हैं।प्रभुत्ववादियों और उनके संगी-साथियों ने कभी भी बाबसाहेब के सबकी बराबरी के सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया क्योंकि ऐसा करने से समाज एक समान भूमि पर बैठा दिखता, जबकि प्रभुत्ववादी और उनके संगी-साथी चाहते थे कि उन जैसे जो सामंती लोग सदियों से सत्ता और धन पर क़ब्ज़ा करके सदैव ऊपर रहे हैं वो हमेशा ऊपर ही रहें और पीडीए समाज के जो लोग शोषित, वंचित, पीड़ित हैं वो सब सामाजिक सोपान पर हमेशा नीचे ही रहें। बाबसाहेब ने इस व्यवस्था को तोड़ने के लिए शुरू से आवाज़ ही नहीं उठाई बल्कि जब देश आज़ाद हुआ तो संविधान बनाकर उत्पीड़ित पीडीए समाज की रक्षा का कवच के रूप में दिया। आज के प्रभुत्ववादियों और उनके संगी-साथियों के वैचारिक पूर्वजों ने बाबासाहेब के बनाए संविधान को अभारतीय भी कहा और उसे सभ्यता के विरुद्ध भी बताया क्योंकि संविधान ने उनकी परंपरागत सत्ता को चुनौती दी थी और देश की 90 प्रतिशत वंचित आबादी को आरक्षण के माध्यम से हक़ और अधिकार दिलवाया था, साथ ही उनमें आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की स्थापना भी की थी।

 

प्रभुत्ववादियों और उनके संगी-साथी सदैव आरक्षण के विरोधी रहे हैं। सदियों की पीड़ा और आरक्षण दोनों ही पीडीए को एकसूत्र करते हैं, चूंकि बाबासाहेब संविधान और सामाजिक न्याय के सूत्रधार थे, इसीलिए ऐसे प्रभुत्ववादी नकारात्मक लोगों को बाबा साहब हमेशा अखरतें थे।बाबासाहेब ने हर एक इंसान को एक मानव के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने के लिए आंदोलन में हिस्सा लेने की बात कही भी और खुद करके भी दिखाया व तथाकथित उच्च जाति और सांमती शोषण को साहसपूर्ण चुनौती भी दी। बाबासाहेब ही आत्म सम्मान के प्रेरणा स्रोत रहे। इसीलिए प्रभुत्ववादियों और उनके संगी-साथी हर बार बाबासाहेब और उनके बनाये संविधान के अपमान-तिरस्कार की साज़िश रचते रहते हैं जिससे कि पीडीए समाज मानसिक रूप से हतोत्साहित हो जाए और अपने अधिकार के लिए कोई आंदोलन न कर पाये। जब कभी ये बात समझकर पीडीए समाज आक्रोशित होता है, तो सत्ताकामी ये प्रभुत्ववादी और उनके संगी-साथी दिखावटी माफ़ी का नाटक भी रचते है।

JNS News 24

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