समान नागरिक सहिंता की चुनौतियों व समाधान विषयक गोष्ठी का हुआ आयोजन।

सामान्य नागरिक संहिता (UCC) वर्तमान समय में देश में वृहद चर्चा का विषय है, इस पर विधि आयोग ने भी सभी नागरिकों के सुझाव आमंत्रित किये हैं।
विषय की महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए इसके उद्देश्यों पर चर्चा हेतु प्रबुद्ध विचार मंच के बैनर तले एक गोष्ठी का आयोजन महेश्वरी इंटर कॉलेज सासनी गेट पर किया गया ।
कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए वार्ष्णेय कॉलेज में शिक्षा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ वीपी पाण्डेय ने कहा कि यूसीसी देश के सभी नागरिकों को बिना भेदभाव के न्याय प्रदानकारी साबित होगा। यूसीसी देश में विभिन्न धार्मिक व जाति समुदायों में विवाह, उत्तराधिकारी, तलाक, महिलाओं को पैतृक सम्पत्ति समान अधिकार, अन्य सिविल कानून सम्बन्धी महिला-पुरुष अधिकारों में समानता लाएगा। यूसीसी किसी धर्म व पंथ के रीति-रिवाजों व परम्पराओं में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में पधारे एएमयू में विधि संकाय के प्रवक्ता गौरव वार्ष्णेय ने समान नागरिक सहिंता की ऐतिहासिक पृष्टभूमि पर प्रकाश डाला। उन्होंने संविधान सभा में इस विषय पर हुई चर्चा, 1955 में आये हिंदू कोड बिल व इसके उपरांत सुप्रीम कोर्ट में चले विभिन्न मामलों से विषय की गंभीरता को समझाने का प्रयास किया।
कार्यक्रम में दूसरे वक्ता के रूप में पधारे धर्मसमाज कॉलेज में विधि विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर हरीश शर्मा ने कहा कि शाहबानो केस (1985), शायराबानो केस (2017), सरला मुदगल vs यूनियन ऑफ इण्डिया (1995) व लिली थॉमस (2000) निर्णयों में भारत सरकार को यूसीसी लागू करने हेतु निर्देशित किया।
कार्यक्रम के संयोजक सीपी गुप्ता ने कहा कि यूसीसी मुख्य रूप से सभी धर्मों की महिलाओं को समानता का अधिकार, बहु-विवाह, बाल- विवाह, हलाला, मिराह जैसी कुप्रथाओं से मुक्ति का साधन होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ इतिहासकार डाक्टर विशन बहादुर सक्सेना ने की।
कार्यक्रम का संचालन ज्ञानेंद्र मिश्रा ने किया। प्रमुख रुप से एड अविनाश शर्मा, कन्हैया लाल महेश्वरी,मदन तापड़िया, डॉक्टर विशन बहादुर सक्सेना, राजेश कुमार, डॉक्टर दिनेश कुमार गुप्त, भूपेंद्र कुमार डागरा, सुधांशु कुमार, विनय गौड़, विजय गौड़, पवन जैन, प्रमोद वार्ष्णेय, के पी सिंह, शिव प्रसाद दीक्षित आदि उपस्थित रहे।