पीपीओ ने किसान भाईयों को अन्न भण्डारण की उपलब्ध कराई तकनीकी जानकारी
असुरक्षित अन्न भण्डारण में कीडे, कृंतक (चूहे), सूक्ष्म जीवों आदि के कारण फसल कटाई के बाद होने वाली क्षति खाद्यान्न का लगभग 10 प्रतिशत होता
अलीगढ़ 09 मई 2024 (सू0वि0): कृषि पद्धति में बुवाई, जुताई से लेकर कीट रोग प्रबन्धन, पोषण प्रबन्धन तथा कटाई के बाद उपज का भण्डारण भी प्रमुख कार्यों में सम्मिलित है। असुरक्षित अन्न भण्डारण में कीडे, कृंतक (चूहे), सूक्ष्म जीवों आदि के कारण फसल कटाई के बाद होने वाली क्षति खाद्यान्न का लगभग 10 प्रतिशत होता है। फसल कटाई के उपरान्त भण्डारण में होने वाली क्षति में से अकेले कीटों का योगदान 2-4.2 प्रतिशत है। भण्डारित उत्पादों में कीटों की लगभग 100 प्रजातियां आर्थिक क्षति पहुंचाने का कारण होती है अतः सुरक्षित अन्न भण्डारण के उपाय अपनाकर होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है और अपने उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त किया जा सकता है। इस हेतु निम्नलिखित सुझावों एवं संस्तुतियों को अपनाना चाहिये।जिला कृषि रक्षा अधिकारी अमित जायसवाल ने उक्त जानकारी देते हुए भण्डारण में कीटों के प्रकोप का प्रमुख कारणों के बारे में किसान भाईयों को बिन्दुवार सूचना उपलब्ध कराई है। उन्होंनें बताया कि भण्डारित अन्न में यदि 10 प्रतिशत से अधिक नमी होती है तो कीटों की संख्या बढ़ने लगती है तथा अनाज में फफूँद भी तेजी से बढ़ती है फलस्वरुप अनाज में जमाव क्षमता कम हो जाती है और यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी होते हैं। भण्डारण कक्ष या पात्र में यदि पर्याप्त आक्सीजन उपलब्ध है तो कीटों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है, जिसको नियंत्रित किया जाना आवश्यक है। कीटों की बढ़वार एवं विकास के लिए 25-27 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान उपयुक्त होता है। भण्डारण कक्ष में उपयुक्त तापमान बनाये रखने के लिए कीट हीट स्पॉट विकसित करते हैं। भण्डारण कक्ष का तापमान कम रखते हुए कीटों की बढ़वार रोकी जा सकती है।श्री जायसवाल ने कीटों के भण्डारण कक्ष में पहुँचने के प्रमुख कारणों के बारे में बताया है कि खेत द्वारा सूंड वाली सुरसरी, छोटा पतंगा एवं पल्स बीटल बोरों या खेत में खड़ी फसल के दानों पर जो किसान की बिना जानकारी के विभिन्न अवस्थाओं में भण्डारण कक्ष में आ जाते हैं। मड़ाई के स्थान द्वारा कुछ कीट थ्रेसिंग फ्लोर पर पहले से ही उपलब्ध रहते हैं जो मड़ाई के समय अनाज के साथ भण्डारण कक्ष में आ जाते हैं। ढोने वाले साधन द्वारा कुछ कीट ट्रैक्टर ट्राली, बैलगाड़ी आदि में पहले से ही छिपे रहते हैं जो अनाज के साथ भण्डारण कक्ष में आ जाते हैं। पुराने भण्डार कक्ष द्वारा कुछ कीट भण्डार कक्ष में पहले से ही छिपे रहते हैं जो अन्न भण्डारण के समय अनुकूल परिस्थितियाँ देखकर अनाज पर संक्रमण कर देते हैं।उन्होंने सुरक्षित अन्न भण्डारण के लिए सुझाव देते हुए बताया है कि फसल की कटाई से लेकर भण्डारण कक्ष तक पूर्ण सावधानी बरतते हुए अनाज को लाना चाहिए जिससे अनाज में कीट की कोई प्रावस्था न रह जाये। जिस गोदाम, कुठला, भण्डारण गृह में भण्डारण करना है, उसकी भली प्रकार सफाई एवं मरम्मत करा लेना चाहिए। दरार या बिल आदि पूरी तरह सीमेंट से बन्द कर देना चाहिए, जिससे चूहे, कीट या नमी का प्रवेश न हो। भण्डारण से पूर्व भण्डारण गृह, कुठला, बखारी आदि को मैलाथियान 50 प्रतिशत ई०सी० की 1ः100 के अनुपात में घोल बनाकर 3 लीटर या 100 वर्गमीटर की दर से फर्श, दीवार एवं क्षत पर छिडकाव करने से छिपे हुए कीट मर जाते हैं। पुराने बोरों को कड़ी धूप में सुखाने या मैलाथियान 50 प्रतिशत ई०सी० के 1ः100 के अनुपात के घोल में 10 मिनट भिगोने से बोरों में छिपे कीट मर जाते है। अनाज को अच्छे प्रकार से धूप में सुखा लेना चाहिए, जिससे दानों में 10 प्रतिशत से अधिक नमी न रह जाये। धूप में सुखाने के पश्चात ठण्डा करके ही भण्डारण पात्रों में रखना चाहिए। यदि भण्डारण कक्ष या गोदाम में भण्डारण करना है तो फर्श पर 2.5 फिट मोटी, साफ, सूखा एवं नये भूसे की ताल लगाकर बोरों की छल्ली दिवार से 2.5 फिट की दूरी पर लगाना चाहिए जिससे गोदाम में नमी से बचत होती है। यदि भण्डारण कक्ष में बोरियों में भण्डारण करना है तो पूरी ऊँचाई का 1/5 भाग छोड़कर ही बोरियों की छल्ली लगाना चाहिए तथा कीटों की सुरक्षा की दृष्टि से एल्यूमीनियम फास्फाइड पाउडर पाउच 56 प्रतिशत 10 ग्राम पैकिंग का 150 ग्राम या 100 घनमीटर या एल्यूमीनियम फास्फाइड 15 प्रतिशत 12 ग्राम पैकिंग का 600 ग्राम / 100 घनमीटर की दर से बोरियों के बीच रख देते हैं तथा भण्डारण कक्ष को अच्छी तरह से बंद कर वायु रोधी कर देना चाहिए। एल्यूमीनियम फास्फाइड पाउडर पाउच 56 प्रतिशत के पैकेट को किनारे से काटकर अन्दर के पाउच को निकालकर वैसे ही बोरियों के बीच में रखना चाहिए जबकि एल्यूमीनियम फास्फाइड 15 प्रतिशत की टेबलेट को कपडे में लपेट कर रखना चाहिए। यदि अनाज का भण्डारण कुठलों या बखारी में करना है तो एल्यूमीनियम फास्फाइड 56 प्रतिशत 10 ग्राम पाउडर की एक पाउच या एल्यूमीनियम फास्फाइड 15 प्रतिशत 12 ग्राम पैकिंग का एक टेबलेट एक मे0टन अनाज में पूर्व में बताये गये तरीके के अनुसार अनाज के बीच में रखकर कुठला या बखारी को पूरी तरीके से वायु रोधी कर देना चाहिए । भण्डारण पात्रों की पेंदी पर बीच बीच में एवं अनाज के साथ नीम की सूखी पत्तियाँ रखने पर कीट का प्रकोप नहीं होता हैं। अनाज को बखारी या बोरों में भण्डारित करने से पूर्व नीम सीड करनल या निमोली पाउडर 1 किग्रा0 प्रति कुंतल अनाज की दर से मिला देने पर कीट का प्रकोप नहीं होता है। प्याज और आलू के भण्डारण से पूर्व फर्श पर बालू की मोटी तह बिछाकर रखने से उच्च तापक्रम से बचा जा सकता है। बीज में प्रयोग हेतु भण्डारित किये जाने वाले अनाज को मैलाथियान 5 प्रतिशत पाउडर 250 ग्राम प्रति कुंतल मिलाकर भण्डारित करना चाहिए। उन्होंने उपर्युक्त दिये गये सुझाव एवं संस्तुतियों में रसायनों का प्रयोग किसी तकनीकी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए। सुरक्षित अन्न भण्डारण से कीटों द्वारा अनाज / उपज की गुणवत्ता प्रभावित नहीं होती है जिससे कृषकों को अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त होता है। कृषि विभाग, उ0प्र0 द्वारा विभिन्न पारिस्थितिकीय संसाधनों द्वारा कीट या रोग योजनान्तर्गत समस्त कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर (अधिकतम रु0 2000 प्रति बखारी) 24 गेज के 5, 3 एवं 2 कुंतल के बखारियों पर अनुदान की व्यवस्था है। विभागीय पोर्टल पर पंजीकृत कृषक डी०बी०टी० के माध्यम से अनुदान प्राप्त कर सकते हैं।उन्होंने सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली (पी0सी0एस0आर0एस0) की जानकारी देते हुए बताया कि कृषि विभाग (कृषि रक्षा अनुभाग) द्वारा फसलों में लगने वाले कीट या रोग सम्बन्धी समस्याओं के त्वरित निदान के लिए दो मोबाइल नम्बर क्रमशः 9452247111 एवं 9452257111 उपलब्ध कराये गये है। कृषक अपनी फसल सम्बन्धी समस्याओं का व्हाटसएप या एस0एम0एस0 के माध्यम से भेज सकते है। इसके अन्तर्गत प्राप्त समस्याओं का समाधान निर्धारित समय सीमा 48 घण्टे में किया जाता है। अधिक जानकारी के लिये 8896146316 पर भी सम्पर्क किया जा सकता है।