अलीगढ़ के खास हथकड़ी की गुणवत्ता और मजबूती का अंदाजा इसकी विदेशों से डिमांड के आधार पर लगाया जा सकता है
तालों के साथ हथकड़ी की डिमांड भी विदेशों में बढ़ी

अलीगढ़ के खास हथकड़ी की गुणवत्ता और मजबूती का अंदाजा इसकी विदेशों से डिमांड के आधार पर लगाया जा सकता है. हालिया सालों में तालों के साथ हथकड़ी की डिमांड भी विदेशों में बढ़ी है. अलीगढ़ में इस हथकड़ी को बनाने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.हथकड़ी को बनाने के लिए उत्तम किस्म की धातु का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसकी वजह से हथकड़ी मजबूत होने के साथ इसमें जंग भी नहीं लगती है. इन्हीं खूबियों की वजह से अलीगढ़ में बनने वाली हथकड़ी कई देशों में काफी फेमस है.भारत के सभी राज्यों के साथ दुनिया के 35 देशों में अपराधियों को काबू में करने के लिए अलीगढ़ की हथकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. यह हथकड़ियां अंग्रेजों के समय से अलीगढ़ में बनाई जा रही हैं. अब तक 90 साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद इनके आकार और डिजाइन में कोई बदलाव नहीं हुआ है. दो, सवा दो, ढाई और पौने तीन इंच की माप में बनने वाली ये हथकड़ियां अलीगढ़ से देश और विदेश में भेजी जाती है.अलीगढ़ के सराय मानसिंह इलाके में स्वतंत्रता सेनानी सोनपाल मिश्रा ने 1932 में सबसे पहले हथकड़ी और बेड़ियां बनाने का काम शुरू किया था.स्वतंत्रता सेनानी सोनपाल मिश्रा की इस हथकड़ी को ‘फिक्स्ड हैंड कफ’ के नाम से जाना जाता था. सोनपाल मिश्रा के बाद उनकी तीसरी पीढ़ी के वंशज सुधांशु मिश्रा ने इस कारोबार को संभाला था. वे बताते हैं कि अंग्रेजों ने अपराधियों की कलाई का अध्ययन करने के बाद चार प्रकार की माप तय की थी, जो आज तक इस्तेमाल हो रही हैं.
आधुनिक हथकड़ियों का विकास
1970 के दशक में सोनपाल मिश्रा के बेटे उदय मिश्रा ने हथकड़ियों के डिजाइन में बदलाव किया. उन्होंने ‘यूके मॉड हैंडकफ’ का निर्माण शुरू किया. इसके लिए इंग्लैंड से हथकड़ी का नमूना मंगवा कर अलीगढ़ में तैयार किया गया. इस नई डिज़ाइन की हथकड़ी में ताले को कम या ज्यादा करने की सुविधा थी, जिससे कैदियों को थोड़ी राहत मिलती थी.
साल 2010 में पुलिस विभाग की मांग पर हल्के वजन की हथकड़ियों का उत्पादन शुरू किया गया. ब्रिटेन की हिंजेस मॉडल की प्रेरणा से अलीगढ़ में ऐसी हथकड़ियां तैयार की गईं, जिनका वजन कम था और जो डबल लॉक सिस्टम से लैस थीं. ये हथकड़ियां कार्बन स्टील से बनती हैं और आज सबसे अधिक प्रचलित हैं अलीगढ़ में हथकड़ियां मुख्य रूप से दो तरह की बनाई जाती हैं. पहला है फिक्स्ड हैंड कफ और दूसरी है एडजस्टेबल हैंड कफ. इन हथकड़ियों की अपनी साइज और डिजाइन की वजह से अलग-अलग खासियत है.
फिक्स्ड हैंड कफ
वजन: 450-500 ग्राम
चार माप: 2 इंच, सवा 2 इंच, ढाई इंच और पौने तीन इंच. इनका निर्माण अंग्रेजों के समय से हो रहा है.
एडजस्टेबल हैंड कफ
वजन: 450-500 ग्राम
यह डिजाइन 40 साल पुराना है और इसे घटाया या बढ़ाया जा सकता है. साल 2010 के बाद हल्के वजन के (लगभग 350 ग्राम) की हथकड़ियां भी बनाई जाने लगीं, जिनका उपयोग आजकल अधिक हो रहा है.
विदेश में भी है डिमांड
भारत के सभी राज्यों में इस्तेमाल होने वाली अलीगढ़ की हथकड़ियां अब नेपाल, श्रीलंका, नाइजीरिया, केन्या, अमेरिका, मलेशिया समेत 35 देशों में निर्यात की जाती हैं. इन देशों में आरई मॉडल की हथकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है अंग्रेजों के जमाने से शुरू हुआ यह उद्योग आज भी समय की कसौटी पर खरा उतर रहा है. इससे न केवल अलीगढ़ के कारीगरों को रोजगार मिलता है बल्कि भारत की पहचान भी दुनियाभर में होती है.